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‘क्रोधी’ के व्यवहार को ‘मूर्खता’ कहना अनुचित

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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क्रोधी व्यक्ति का व्यवहार मूर्खतापूर्ण होता है,उक्त मानसिक अवधारणा आवश्यक नहीं है। चूंकि,क्रोध विरोधाभास का एक लक्षण मात्र है,जिसे मूर्खता का शब्द देकर सभ्य समाज उक्त क्रोधी जीव के प्रति सकारात्मकता के स्थान पर नकारात्मक हो जाता है। क्रोधी को यदि मूर्खता अर्थात पागलपन का शब्द दे दिया जाए तो उस पर संवैधननिक कार्यवाही हो ही नहीं सकती, जबकि प्रत्येक क्रोधी स्वभाव पर कानूनी कार्यवाही की जाती और उसके क्रोध के कारण की गई हानि का दण्ड भी दिया जाता है।
बताना आवश्यक है कि,क्रोधी स्वभाव को यदि कानूनी प्रक्रिया में मूर्खता अर्थात मानसिक स्वास्थ्य अर्थात मानसिक रोगी मान लिया जाए, तो संविधान की धारा २१, मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम १८८७, विकलांगता अधिनियम १९९६ और वर्तमान सरकार द्वारा पारित दिव्यांगता अधिनियम २०१६ उसके बचाव में सामने आ जाता है। इसमें उक्त मानसिक रोगियों को सशक्त शक्तियां मिली हुई हैं,जिनके दम पर उनके द्वारा की गई हत्या या हत्याओं के बावजूद उन्हें फाँसी नहीं दी जा सकती। ऐसी हालत में समाज क्रोधियों को मूर्खता का शब्द देकर कितनी बड़ी भूल कर अपने मस्तिष्क की बुद्धि पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है ?
इसलिए,विनम्र प्रार्थना है कि अपनी अज्ञानता की मानसिकता से ऊपर उठ कर ‘क्रोधी’ के क्रोध का कारण और उसके उपचार के लिए प्रयास कर मानव और मानवीयता की सेवा करें।

परिचय-इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैl इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैl वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैl राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैl कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंl आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैl प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंl कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंl अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैl प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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