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मृत्युदान

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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जीवन किसने माँगा था,
मगर जन्म पर किसका अधिकार है!
करना पड़ता स्वीकार है,
जैसा भी मिले।
फिर भी इस बार मैं,
मानता हूँ अपनी हार मैं।
इस संसार में अब गुजर नहीं,
यहाँ मेरा सुर,मेरा संगीत नहीं
यहाँ मेरी प्रीत नहीं,मेरा गीत नहीं,
टूट गया मेरा अभिमान।
अब न रही कोई पहचान,
माँग रहा हूँ तुझसे हे भगवान
मृत्युदान…मृत्युदान…मृत्युदान!

टूटती साँसें हैं कहती,
थक चुकी हूँ मैं,अब नहीं चलना मुझे।
डूबती आँखें भी कहती,आँसू बन नहीं निकलना मुझे,
अब बार-बार मैं किस-किस को मनाऊं।
समय के साथ-साथ मैं,
कितना बहता चला जाऊं।
यहाँ मेरा अस्तित्व,मेरा व्यक्तित्व नहीं,
यहाँ मेरा कोई मीत नहीं,मेरी कोई कृतित्व नहीं।
टूट गई हर आशा,
चारों तरफ निराशा ही निराशा।
मेरे इस निष्फल जीवन का,है यही एकमात्र निदान,
मृत्युदान…मृत्युदान…मृत्युदान॥

परिचय-गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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