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धीरज धरो ना…

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

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है मुश्किल का दौर धीरज धरो ना,
मिला है अब अवसर साथ रहने का…
तो अपनों के साथ घर मे रहो ना।

दानी-नानी से मिली थी,
जो धरोहर संस्कृति की
अब मुश्किल समय में उन बीजों को,
अंकुरित अपने बच्चों मे करो ना।

‘कोरोना’ से लड़ने के लिए,
साथ रह कर हिम्मत बढ़ाओ ना…
घर से पिकनिक और
सैर-सपाटे को निकलो ना।

मंदिर,मस्जिद,गिरजाघर और
गुरुद्वारों का दरवाजा है बंद,
तो अपने घरों को ही
तीर्थस्थल समझ दुआएं पढ़ो ना,
अपनों के लिए इबादत करो ना।

‘कोरोना’ का न कोई संगी-साथी,
न है उसके लिए कोई बड़ा-छोटा
न उसको मतलब किसी सरहद,
धर्म,जाति और अमीरी-गरीबी से…
सिर्फ खुद से खुद की रक्षा करो ना।

नक-मुख ढकने का अभ्यास करो ना,
बाहर से घर लौट आने पर…
सदैव साबुन से हाथ धोने की,
आदत का निर्माण करो ना।

आपस में दूरी रखने का,
प्रयास भी थोड़ा करो ना।
हाथ मिलाने की चेष्टा करो ना
छोटे-बड़े सभी को सिर्फ
नमस्ते करने का प्रयास करो ना।

अफवाहों का शिकार बनो ना,
नाउम्मीदी और मायूसी के…
विचारों से दूर रहो ना।
कोरोना नामक दानव से,
दूर रहने का प्रयास करो ना॥

परिचय–पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैl जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैl श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैl महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी.एच-डी. की शोधार्थी हैंI आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैl रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा आदिवासियों का आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंl हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंl आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!`,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैl यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस पुरस्कार दिया गया हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैl

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