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उम्मीद का दीया

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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उम्मीद का दीया सदा यूं,
जिंदगी रोशन करे।
बोलें सदा सब सत्य ही
कटुता नहीं कोई करे॥

आशा सदा मन में रखे,
विश्वास भी बढ़ता रहे।
मन में रहे सद्भावना,
बस शान्ति जीवन में रहे॥

बस कर्म ही करते रहें,
परिणाम ना मन में रहे।
विश्वास ना टूटे कभी,
आशा सदा मन में रहे॥

जब दीप आशा का जले,
तब अंधकार विनाश हो।
हर राह आशा से भरी,
मन में सदैव प्रकाश हो॥

आशा सदा मन में रखें,
उत्साह बढ़ता ही रहे।
रखना सदा शुभ सोच भी,
विश्वास भी पलता रहे॥

अनमोल जीवन है बड़ा,
सद्भाव जीवन में बढ़े।
आशा बड़ी बलशालिनी,
हर ख्वाब जीवन में गढ़े॥

आशा रखो भगवान से,
करता है पूरी आस वो।
थामे वही यह जिंदगी,
हो जाय भाव विभोर वो॥

समभाव जीवन में रखें,
सत कर्म ही करते रहो।
इक आस ही मन में रखें,
विश्वास भी करते रहो॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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