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कर्तव्य निभाता है डट कर

बिमल तिवारी ‘आत्मबोध’
देवरिया(उत्तरप्रदेश)
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सीमाओं पर डटें,जो देश की रखवाली करतें हैं,
बिना स्वार्थ हित लाभ के जो पहरेदारी करतें हैं।
सर्दी शीत धूप ताप से लड़ते जो प्रतिक्षण हैं-
उनकें त्याग वीरता की तो सब कहानी कहते हैं।

जिनकी इच्छा तृष्णा तो मन में ही दब जाती हैं,
जिनकी सतर्कता से होली दीवाली सब आती हैं
जिनकी पहरेदारी से ईंद क्रिसमस भी आता है,
वरना सबकी ख़ुशी नज़ारे पल में ही दब जाती हैं।

अपना शीश कटा कर हम पर आंच नहीं आने देता,
बात कितनी भी कठिन हो,बात नहीं आने देता
ओ रक्षक भक्षक बन जाता हैं दुश्मनों के टोलों पर,
एक-एक को मारता है,बच कर नहीं जाने देता।

घर से दूर,क़भी किसी से मग़र नहीं शिकायत करता,
किसी पद प्रलोभन ख़ातिर क़भी नहीं ज़ियारत करता
हरदम कर्तव्य निभाता है डट कर जी-जान से
ख़ुद की ख़ातिर क़भी किसी से कोई नहीं सिफारश करता।

उनके बल से ही देश में आज़ादी की आहट है,
उनके वीर बल से क़भी आती नहीं मुसीबत है
उनके रूह खून में हरदम सूर्य-सी गरमाहट है,
फिर भी देखो मुखड़े पर दिखती तो मुस्कुराहट है।

सज़ग सतर्क हरदम रहते हैं दुश्मनों की चाल से,
सिर उच्छेदन कर देते हैं इरादों के अपने भाल से
उनका मज़हब भारत,भारती और देश की माटी है,
जिसकी रक्षा करते हैं समझकर अपने परिवार से।

उनके पाँवों की धूली माथे पर लगाने लायक है,
उनका खून,पसीना तो गंगा जल से पावन है।
जो उनका चारण गाता है,ओ ही असली गायक है
उनके पथ जो चलता है,बनता एक दिन नायक है॥

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