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‘कोरोना’ कहे सबसे,मुझसे डरो ना..

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’ 
नागपुर(महाराष्ट्र)

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प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष……..


इंसानों ने निज स्वार्थ हेतु,
संरक्षण नहीं किया,अन्य जीवों का।
ना सम्मान किया,न महत्व दिया,
व्यवस्था भंग की,प्रकृति के नियमों का।
‘कोरोना’ कहे सबसे,मुझसे डरो ना…

तेज बुखार,खाँसी,बलगम आए,
तो अस्पताल जाकर,जाँच कराओ।
बार-बार साबुन से हाथ धो,
नमस्ते करो,हाथ ना कभी मिलाओ।
कोरोना कहे सबसे,मुझसे डरो ना…

धरा के जीवों को,मारकर खाना छोड़ो,
हरी सब्जियों का,उपयोग करो।
सामिष भोजन का लिया मजा,अब
शरीर आत्मा को,शुद्ध करो।
कोरोना कहे सबसे,मुझसे डरो ना…

संशय में मत रहो,वायरस
वृद्ध को ही,प्रभावित है करता।
भयानक इतना है,यह कोरोना,
गिरफ्त में लेकर,सबको तबाह करता।
कोरोना कहे सबसे,मुझसे डरोना…

गर नहीं जरूरी,बाहर जाना,
घर पर रह,कुछ दिन गुजारो।
दफ्तर,व्यापार,सड़कें हैं बंद,
परिवार के साथ,प्रेमधुन गाओ।
कोरोना कहे सबसे,मुझसे डरो ना…

प्रशासन,सरकार लगे,निदान में,
हम भी नागरिक का,फर्ज निभाएं।
घूमने-फिरने,मौज-मस्ती,को दें विराम,
भीड़ की जगह जाकर,भीड़ ना बन जाएं।
कोरोना कहे सबसे मुझसे डरो ना…

कोरोना है,एक विकट महामारी,
आगोश में इसके,समा रहा विश्व।
इंसानी जीवन लगा,दांव पर,
प्रकृति की अनदेखी,भोग रहा विश्व।
कोरोना कहे सबसे मुझसे डरोना…॥

परिचय-डाॅ. मधुकर राव लारोकर का साहित्यिक उपनाम-मधुर है। जन्म तारीख़ १२ जुलाई १९५४ एवं स्थान-दुर्ग (छत्तीसगढ़) है। आपका स्थायी व वर्तमान निवास नागपुर (महाराष्ट्र)है। हिन्दी,अंग्रेजी,मराठी सहित उर्दू भाषा का ज्ञान रखने वाले डाॅ. लारोकर का कार्यक्षेत्र बैंक(वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त)रहा है। सामाजिक गतिविधि में आप लेखक और पत्रकार संगठन दिल्ली की बेंगलोर इकाई में उपाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-पद्य है। प्रकाशन के तहत आपके खाते में ‘पसीने की महक’ (काव्य संग्रह -१९९८) सहित ‘भारत के कलमकार’ (साझा काव्य संग्रह) एवं ‘काव्य चेतना’ (साझा काव्य संग्रह) है। विविध पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी को स्थान मिला है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में मुंबई से लिटरेरी कर्नल(२०१९) है। ब्लॉग पर भी सक्रियता दिखाने वाले ‘मधुर’ की विशेष उपलब्धि-१९७५ में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण(मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व) है। लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी की साहित्य सेवा है। पसंदीदा लेखक-मुंशी प्रेमचंद है। इनके लिए प्रेरणापुंज-विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन(नागपुर)और साहित्य संगम, (बेंगलोर)है। एम.ए. (हिन्दी साहित्य), बी. एड.,आयुर्वेद रत्न और एल.एल.बी. शिक्षित डाॅ. मधुकर राव की विशेषज्ञता-हिन्दी निबंध की है। अखिल भारतीय स्तर पर अनेक पुरस्कार। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-
“हिन्दी है काश्मीर से कन्याकुमारी,
तक कामकाज की भाषा।
धड़कन है भारतीयों की हिन्दी,
कब बनेगी संविधान की राष्ट्रभाषा॥”

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