कुल पृष्ठ दर्शन : 299

You are currently viewing न जाओ पिया जी…

न जाओ पिया जी…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’
पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)
**********************************

रचना शिल्प:मात्रा भार १६-१६

मुझे न जाओ छोड़ पिया जी,
तार-तार कर तार प्यार के।
अप्रतिम नेह दिया है प्रियतम,
उर को तुम पर सदा वार के॥

तुझको पाकर मुझे मिला है,
पल-पल ही ऋतुराज पिया जी।
नद,निर्झर सब गान दे रहे,
मेह छेड़ती साज हिया जी॥

कैसे जी लूँगी तुम बिन मैं,
अपने मधुरिम सपन हार के।
मुझे न जाओ छोड़ पिया जी,
तार-तार कर तार प्यार के…॥

गीत सजे थे नवल अधर में,
नवल,नेह की थी परिभाषा।
नवल श्वाँस थी,नवल चित्त में ,
नवल चेतना थी नव आशा॥

तुम बिन देगी प्रिय कौमुदी,
हृदय में घाव अंगार के।
मुझे न जाओ छोड़ पिया जी,
तार-तार कर तार प्यार के…॥

क्या करना है इन मेघों का,
तुम बिन मेह तपन ही देगी।
पुहुप पाँखुड़ी भी नयनों में,
नयन नीर के ही कन देगी॥

कहाँ जा रहे प्रियतम मेरे,
छीन मधुर पल ये श्रिंगार के।
मुझे न जाओ छोड़ पिया जी,
तार-तार कर तार प्यार के…॥

तुम बिन आसव भी माहुर हो,
तन में देगा सदा वेदना।
वासित होगी जो बयार तो,
ले जायेगी छीन चेतना…॥

तुम बिन प्रियतम क्या करना है,
कहो अब मुकुर में निहार के।
मुझे न जाओ छोड़ पिया जी,
तार-तार कर तार प्यार के…॥

अप्रतिम नेह दिया है प्रियतम,
उर को तुम पर सदा वार के।
मुझे न जाओ छोड़ पिया जी,
तार-तार कर तार प्यार के…॥
मुझे न जाओ छोड़…

परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर है। जन्म तारीख २४ अप्रैल १९६६ और जन्म स्थान-ग्राम सतगढ़ है। वर्तमान और स्थाई पता-जिला पिथौरागढ़ है। हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले उत्तराखण्ड राज्य के वासी डॉ.कापड़ी की शिक्षा-स्नातक(पशु चिकित्सा विज्ञान)और कार्य क्षेत्र-पिथौरागढ़ (मुख्य पशु चिकित्साधिकारी)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत पर्वतीय क्षेत्र से पलायन करते युवाओं को पशुपालन से जोड़ना और उत्तरांचल का उत्थान करना,पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं के समाधान तलाशना तथा वृक्षारोपण की ओर जागरूक करना है। आपकी लेखन विधा-गीत,दोहे है। काव्य संग्रह ‘शिलादूत‘ का विमोचन हो चुका है। सागर की लेखनी का उद्देश्य-मन के भाव से स्वयं लेखनी को स्फूर्त कर शब्द उकेरना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-सुमित्रानन्दन पंत एवं महादेवी वर्मा तो प्रेरणा पुंज-जन्मदाता माँ श्रीमती भागीरथी देवी हैं। आपकी विशेषज्ञता-गीत एवं दोहा लेखन है।

Leave a Reply