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डोर

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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क़िस्मत की लकीरें,
कुछ अजीब होती हैं
कैसे कहें चाहती क्या हैं,
बंध जाती कहीं और है।
क़िस्मत…

रिश्तों की डोर मिली,
नन्हीं कली समझने लगी
फिर उसी में ढलने लगी,
होंठों की हँसी छुपने लगी।
क़िस्मत…

कुछ सपने भी बिखरे,
खामोशी में डूबे चेहरे
कब होती दिन-रात ये,
छाने लगे यादों के कोहरे।
क़िस्मत…

डोर में गांठ पड़े ना कभी,
हर पल मैं डरने लगी
सभंल कर मैं चलने लगी,
कैसी मिली है डोर पहेली।
क़िस्मत…की लकीरें,
क़िस्मत…॥

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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