कुल पृष्ठ दर्शन : 255

You are currently viewing नव चिंतन,संस्कारों और मूल्यों की ‘स्वप्निल हकीकत’

नव चिंतन,संस्कारों और मूल्यों की ‘स्वप्निल हकीकत’

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

***********************************************************************

काव्य जहां हमारी भावनाओं को अभिव्यक्ति देता है,तो दूसरी और वह हमारी चेतना को भी झकझोरता है,तथा सामाजिक विषमताओं पर भी आघात करता है। कविताएं जहां एक ओर हमें कोमलता का अहसास कराती हैं,वहीं हमें जीने की कला भी सिखाती है,और अगर कहीं सृजक ‘प्रीति भारती’ जैसी युवा ऊर्जस्वी हो,तो स्वाभाविक है कि कविताओं में हमें गतिशीलता व तेजस्विता दृष्टिगोचर होती है। ऐसे में हम स्वप्न की भूल-भुलैया से निकलकर हकीकत के धरातल पर न केवल विचरण करने लगते हैं,बल्कि एक समसामयिकतापूर्ण बोध व दैदीप्यमानता से भी परिपूर्ण हो जाते हैं
ऊर्जावान युवा कवियित्री प्रीति भारती की प्रकाशित काव्य कृति ‘स्वप्निल हकीकत'(सन्मति पब्लिशर्स) की कविताएं ताजे हवा के झोंके के समान है,जो मीठी अनुभूतियों के साथ ही नव-वैचारिकता का भी संसार करती है। समकालीन दृष्टिकोण से परिपूर्ण कविताएं संदेशपूर्ण भी हैं और विसंगतियों पर प्रहार भी,नेहिल भी और संहारक भी,पर यह सत्य है कि प्रीति की कविताओं में नव चिंतन,संस्कारों और मूल्यों के प्रति प्रीति समाहित है। हर भाव,हर शब्द,हर पंक्ति पर उनका अधिकार है। वो लिखती हैं-
मैं शब्दों की दुनिया में जीती उलझी-सुलझी,ख्वाबों को बुनती दूर देश से आई हूँ कभी बलखाती,कभी लहराती ध्वनि गूंज में तैर लगाती मैं होती कभी एक जगह फिर दिशा बदल जग इधर-उधर कर जाती हूँl
यद्यपि प्रीति भारती अभी युवा हैं,और लेखनानुभव कम है पर उनके चिंतन में विस्तीर्णता,गहनता व सूक्ष्मता है। यही कारण है जो कि वे अपनी कविताओं में समाज की नकारात्मकताओं को भी उजागर करती है और अपने अस्तित्व की दृढ़ता का परिचय भी देती है। इनकी श्रंगार की कविताएं सरसता,प्रवाह,गतिशीलता व ताजगी का प्रतिनिधित्व करती हैं।
जब दर्द आँसू बन छलक जाते हैं और अल्फाज़ थम से जाते हैं तब दिल में उम्मीद कम ग़म के बादल मंडराते हैंl
शिल्प,कथ्य,लय,संदेश,संप्रेषणीयता हर प्रकार से प्रीति भारती की कविताओं में वजन है तथा परिपक्वता है। ये कविताएं पाठक से प्रत्यक्ष संवाद करती हैं। निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि प्रीति भारती में अनंत संभावनाएं समाहित हैं। उनकी कविताओं में खुशबू है,मधुरता है,सरसता है। इस संग्रह की कविताएं वस्तुत: विविधवर्णी गुलदस्ता हैं,जिनमें कहीं आत्मकथ्य है,कहीं पीड़ा-दर्द है,कहीं आत्मचेतना व आत्मबल है,तो कहीं बेटी होने की कसक है। कहीं प्रेम है,कहीं तड़पन तो कहीं सामाजिक परिवेश व हालातों से उत्पन्न दर्द की रागिनी,पर यह यथार्थ है कि कविताएं छोटी होते हुए भी उनमें कसावट है। सकारात्मक चिंतन का सशक्त दृष्टांत जरा देखें-
`दीपक बनकर
जिस भी गली से गुज़रूं
अंधेरा छटे
रौशनी फैले

कहने को रौशन
घर किसी और का होगा
दिल अपना भी
कम खुश न होगाl कविताओं में एक विशिष्ट अंतर्निहित मौलिकता के साथ ही एक वैज्ञानिकता भी नज़र आती है,जो कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता मानी जानी चाहिए। मुख पृष्ठ आवरण के लिए यही कहूंगा- प्रीति निभाती तुम रहो,कविता की यह रीति।
कविता से तुमको रहे,’शरद’ सदा ही प्रीतिll`

परिचयप्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैl एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंl करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंl साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंl  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

Leave a Reply