कुल पृष्ठ दर्शन : 403

You are currently viewing शिव शंभू के रूप अनेक

शिव शंभू के रूप अनेक

नताशा गिरी  ‘शिखा’ 
मुंबई(महाराष्ट्र)
*********************************************************************

इस धरा विराजमान पहला ज्योतिर्लिंग हूँ,
चंद्रमा के श्राप में दक्ष का मैं क्रोध हूँ।

मैं आदि हूँ,अनंत हूँ,प्रचंड हूँ,प्रकाल हूँ,
बोलो शिव शंभू या बोलो सोमनाथ हूँ।

अश्वमेघ यज्ञ-सा श्री शैल विराजमान हूँ,
कृष्णा नदी देख रहे कैलाश-सा महान हूँ।

मैं अंत हूँ,आरंभ हूँ,मैं तन में हूँ,मैं कर्म में हूँ,
रूप विकराल हूँ,बोलो मल्लिका अर्जुन या बोलो भोलेनाथ हूँ।

दक्षिण मुखी शिवलिंग हूँ,वीभत्स हूँ,विभोर हूँ,
समाधि में मैं चूर हूँ,श्मशान में नाचते अघोरी का स्वरूप हूँ।

भूतनाथ रूद्र रूप,उमापति भोला रूप हूँ,
बोलो शिव शंभू या बोलो महाकाल हूँ।

नर्मदा का वासी हूँ,ब्रह्मा के मुख से ॐ की उत्पत्ति हूँ,
धर्म शास्त्र वेद में मैं ओम साक्षात्कार हूँ।

निराकार स्वर्णिम स्वरूप तो कभी भक्त प्रिय श्रद्धा का रूप हूँ,
बोलो शिव शंभू,या बोलो ओंकारनाथ हूँ।

स्कंद पुराण शिव पुराण अनंत प्रिय है मुझे,
नीलकंठ शीशगंग माला भुजंग शूल में त्रिशूल का मैं रूप हूँ।

गंगा की धार हूँ मैं अति विस्तार हूँ,मानो निरंकार हूँ,
बोलो शिव शंभू या बोलो केदारनाथ हूँ।

सहयाद्री विराजमान मोटेश्वर का नाम हूँ,
सूर्य को करता प्रथम मैं ही प्रणाम हूँ।

जन्मों के पाप का निवारण का धाम हूँ,
स्वर्ग मार्ग खोल दूँ भीमाशंकर का नाम हूँ।

भांग धतूरा बेल पत्र,मेरा आहार है अक्षत मेरा सार है।
बोलो भीमाशंकर या बोलो भोलेनाथ हूँ।

दूध,दही,घी नहीं कर कभी अर्पण मुझे,
निष्ठा और प्यार में सदा समर्पण हूँ।

अपनी गौरव गाथा गाऊँगा प्रलय को भी लौटाऊँगा,
त्रिशूल रख काशी में,मैं नया शहर बसाऊँगा।

ब्रह्मागिरी समीप हूँ,नासिक की प्रीत हूँ,
बोलो शिव शंभू या बोलो काशीनाथ हूँ।

मैं मृत्यु हूँ,मैं मोक्ष हूँ,देव-दानव एक तुल्य सब बहुमूल्य है,
त्र्यंबकेश्वर का नाम हूँ,भोलेनाथ धाम हूँ।

बैद्यनाथ धाम हूँ,झारखंड विराजमान हूँ,
बोलो शिव शंभू या बोलो त्र्यंबकेश्वर नाथ हूँ।

द्वारिका के धाम पर नागों का मैं देवता,
अर्ध नाग शीश श्रद्धा समर्पित सबका में ईश हूँ।

चार धाम रूप हूँ हिंद का स्वरूप हूँ,
बोलो शिव शंभू या बोलो नागेश्वरनाथ हूँ।

राम का साथ हूँ,लक्ष्मण का प्रभात हूँ,
सीता के संग राम पूर्ण कार्य हूँ,रामेश्वरम का नाम हूँ।

बोलो शिव शंभू या बोलो रामेश्वरम नाथ हूँ,
अंतिम ज्योतिर्लिंग हूँ,घृष्णेश्वर का नाम हूँ।

महाराष्ट्र विराजमान हूँ,अखंड हूँ,अडिग मैं हूँ,
गौरव ऋषि वरदान हूँ,गोदावरी की जान हूँ।

हित में हूँ अहित में हूँ प्रबल हूँ,प्रतिष्ठित हूँ,

बोलो शिव शंभू या बोलो घृष्णेश्वर नाथ हूँ॥

परिचय-नताशा गिरी का साहित्यिक उपनाम ‘शिखा’ है। १५ अगस्त १९८६ को ज्ञानपुर भदोही(उत्तर प्रदेश)में जन्मीं नताशा गिरी का वर्तमान में नालासोपारा पश्चिम,पालघर(मुंबई)में स्थाई बसेरा है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली महाराष्ट्र राज्य वासी शिखा की शिक्षा-स्नातकोत्तर एवं कार्यक्षेत्र-चिकित्सा प्रतिनिधि है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत लोगों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की भलाई के लिए निःशुल्क शिविर लगाती हैं। लेखन विधा-कविता है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-जनजागृति,आदर्श विचारों को बढ़ावा देना,अच्छाई अनुसरण करना और लोगों से करवाना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद और प्रेरणापुंज भी यही हैं। विशेषज्ञता-निर्भीकता और आत्म स्वाभिमानी होना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अखण्डता को एकता के सूत्र में पिरोने का यही सबसे सही प्रयास है। हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा घोषित किया जाए,और विविधता को समाप्त किया जाए।”

Leave a Reply