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ई-संगोष्ठी जैसा सटीक शब्द दिया जाना उचित

मुद्दा-वेबिनार बनाम अपने शब्द

प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी (दिल्ली)-

कुछ लोग वेब-संगोष्ठी की वकालत कर रहे हैं,लेकिन उन्हें मालूम होना चाहिए कि वेब भी इलेक्ट्रोनिक के अंतर्गत आता है। हमें अंशी को अपनाना चाहिए,न कि अंश को, ताकि भविष्य में कोई कठिनाई या उलझन न आ पाए। इस प्रकार आज के तकनीकी युग में इलेक्ट्रोनिक और कम्प्यूटर का बहुत बड़ा योगदान है। इसी के परिप्रेक्ष्य में भविष्य में और भी कई तकनीकी उपकरणों का विकास होगा। ‘इलेक्ट्रोनिक’ के लिए कुछ लोगों ने हिन्दी में ‘वैद्योतिकी’ शब्द रखा है,जो जटिल और कठिन होने के कारण अभी तक प्रचलित नहीं हो पाया। वास्तव में तकनीकी शब्दों के निर्माण में सरलता,सहजता, सुगमता,स्वाभाविकता और संक्षिप्तता पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए ई-संगोष्ठी शब्द वेबिनार के लिए उचित और उपयुक्त लगता है। इसके उच्चारण में सरलता और सहजता है तथा प्रयोग में संक्षिप्तता एवं सुगमता है। ‘ई-संगोष्ठी’ शब्द का प्रचलन पहले था,किंतु बहुत कम था। इस कोरोना विषाणु के कारण तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा वेबिनार शब्द का प्रयोग होने लगा और हिन्दी के विद्वानों ने भी इसे अपना लिया। पता नहीं,हिन्दी विशेषज्ञों ने इस शब्द का प्रयोग क्यों नहीं किया। वस्तुत: शब्दों का प्रचलन उनके प्रयोग से ही होता है। इसलिए मेरे विचार में ‘ई-संगोष्ठी’ शब्द का प्रयोग करना असमीचीन नहीं होगा।

श्रीमती लीना मेहंदले(गोवा)-

ई-संगोष्ठी से सहमत।

प्रो. रंजना अरगडे(गुजरात)-

ई-संगोष्ठी से पूर्णत: सहमतl

डॉ. एस.पी. दुबे(महाराष्ट्र)-

आजकल वर्चुअल संगोष्ठियों का आयोजन बहुत जोर पर है,जिसे वेबिनार का नाम दिया जा रहा है। यह नाम प्रचलन में बड़ी तेजी से उभरा और इसकी स्वीकार्यता भी उतनी ही तीव्र गति से हुई,लेकिन अंग्रेजी के दो शब्दों से मिल कर बने इस शब्द के बजाय हिंदी में इसे ‘ई-संगोष्ठी’ कहा जाना अधिक उपयुक्त और तर्कसंगत लगता है।

प्रो. अमरनाथ(कोलकाता)-

‘ई-संगोष्ठी’ सही शब्द है। अवश्य चलेगा।

प्रो.मंगला रानी(पटना)-

वेबिनार के लिये ई-संगोष्ठी उत्तम विकल्प है। वर्चुअल क्लास को गूगल आभासी वर्ग कहता है किंतु वह आभासी कतई नहीं है,बिल्कुल समक्ष है। मुझे इसे गृह-कक्षा अथवा घरेलू-वर्ग कहना ज्यादा उचित लगता है। ई-मैगजीन को ई-पत्रिका कहना सुविधाजनक एवं स्पष्ट है।

प्रो. विष्णु सरवदे(हैदराबाद)-

वेबिनार की जगह ई-संगोष्ठी यह शब्द उपयुक्त है। यह शब्द ठीक लगता है। यह हिन्दी का अपना शब्द होगा। इस शब्द का प्रयोग हम कर रहे हैं।

अनिल गोरे(महाराष्ट्र)-

उधार का भी क्यों लेना ? वी-संगोष्ठी संबोधन से क्या आपत्ति है ? उधार ज्यादा हो या थोड़ा! उधार तो उधार होता हैl

प्रो. सतीश पांडेय(मुंबई)-

‘वेबिनार’ के हिन्दी विकल्प के संदर्भ में विगत कई दिनों से चल रही चर्चा और विमर्श बड़े गौर से देख रहा था। मुझे लगता है कि हिंदी में पहले ही हमने ‘ई-मेल’ शब्द को स्वीकार कर लिया है। थोड़ा आसान लगने वाले विकल्प जल्दी प्रचलन में आ जाते हैं। यह सर्वविदित है कि वे ही शब्द आगे स्वीकृत होते हैं,जो लोगों द्वारा व्यवहार में लाए जाते हैं अन्यथा वे मात्र शब्दकोशों तक सीमित रह जाते हैं। इस दृष्टि से ई-मेल की तर्ज पर ई-संगोष्ठी अधिक व्यापकता लिए हुए उचित विकल्प लगता है,जो ग्राह्य हो सकता है।

विनोद संदलेश(दिल्ली)-

बात कहने और सुनने की नहीं है। जब आवश्यकता होने पर आगत यानि उधार के शब्द एक भाषिक समाज में किसी विशेष कार्यसिद्धि के लिए प्रवेश करते हैं,तो प्रयोक्ता उनके कई रूप प्रयोग में लाने का प्रयास करते हैं। यह उस भाषिक समाज अथवा प्रयोक्ता वर्ग की आवश्यकता भी है। अस्तु वेबिनार भी चलेगा,ई संगोष्ठी भी चलेगा और ऑनलाइन भी प्रयोग में आएगा। अब प्रश्न है कोई शब्द कितनी देर तक चलेगा और कोई शब्द उस भाषा में कब पक्का स्थान बनाएगा। मेरा अनुभव कहता है जिस एक विचार से उस भाषा में एक ही प्रकार के शब्द युग्म बनेगें या ऐसे शब्द युग्म बनने की उर्वरता होगी,वही शब्द स्थायित्व ग्रहण कर लेगाl जैसे,ई-गोष्ठी,ई-संगोष्ठी,ई-सरल वाक्यकोश, ई-महाशब्द कोश,ई-शिक्षण,ई- प्रशिक्षण आदि। अस्तु ई-संगोष्ठी शब्द को निरंतर प्रयोग में लाए जाने की आवश्यकता है। सभी इस प्रयास में लगे रहें,बाकी भाषिक समाज पर छोड़ दें। यदि दम होगा तो स्थायी हो जाएगा।

रुद्रनाथ मिश्र-

महोदय,मैं समझता हूँ कि अभी उपयुक्त समय है जबवेबिनार का हिंदी पर्याय प्रचलित कर दिया जाए, वरनाप्रचलित शब्द अपनाओ का चोला ओढ़ कर वास्तव मेंअंग्रेजी शब्द अपनाओ का कार्य करने वाले तथाकथित सरलतावादी वेबिनार को इतना प्रचलित कर देंगे कि इसका हिंदी समतुल्य ढूंढने का
उपक्रम कोई नहीं करेगा। चूंकि,संगोष्ठी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से की जा जाती है अत: इसे ई-संगोष्ठी जैसा सटीक शब्द दिया जाना उचित रहेगा।

प्रदीप शर्मा(चेन्नई)-

हम दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा(चेन्नई) भी ‘ई-संगोष्ठी’ शब्द के लिए पूरी तरह सहमत हैं और भविष्य में इसी शब्द का ही प्रयोग करेंगेl

डॉ. आर.वी. सिंह-

आपका प्रयास स्तुत्य है। अ कॉम्प्रीहेन्सिव इंग्लिश-हिन्दी डिक्शनरी में डॉ. रघुवीर ने कितने नये-नये शब्द सुझाए। भूमिका में उन शब्दों का औचित्य भी प्रतिपादित किया। नियोजित भाषा-विकास की प्रक्रिया में नये शब्द बनाकर प्रस्तुत तो किए जा सकते हैं,किन्तु उन्हें चलाने न चलाने का काम प्रयोक्ता करेंगे। ई-संगोष्ठी शब्द बड़ा टकसाली है। इसे चलना चाहिए। हमारे भोजपुरी-अवधी क्षेत्रों में तो ई-संगोष्ठी (या इ संगोष्ठी) को बिलकुल धड़ल्ले से चलना चाहिए। आप इसे बार-बार लोगों के सामने लाइए। इतनी बार कि यह लोगों की जबान पर चढ़ जाए। भाषा तो चलती का नाम गाड़ी है। एक बार चल जाए तो कोई नहीं पूछता कि यह शब्द आया कहाँ से। व्युत्पत्ति तो शोध की विषयवस्तु बन जाती है। इ,संगोष्ठी बड़ा और उच्चारण में कठिन लगे तो इ-गोष्ठी कहिए। प्रयोग करने से डरना नहीं चाहिए। कोई क्या कहेगा, यह सोचने की भी ज़रूरत नहीं। आपको जो कहना है कहिए। शायद उसी में आपकी महारत हो। हम तो अपना काम करेंगे। आज अंग्रेजी पूरी दुनिया पर छा गयी है,तो उसका सबसे बड़ा कारण है उसमें अनुसंधान और विकास के लिए उत्कंठा और हर भाषित तत्व को सहज ही आत्मसात करने की उसकी ललक। हिन्दी में भी अनुसंधान व विकास निरन्तर चलते रहना चाहिए #डॉ. जवाहर कर्नावट(भोपाल)-
ई-संगोष्ठी संकुचित अर्थ प्रदान करता है,जब कि वेब संगोष्ठी व्यापकता लिए हुए हैl ‘ ई’ इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया का सूचक हैl हम ई-रिक्शा,ई-पुस्तक,ई-पास आदि का प्रयोग करते रहे हैं,किंतु इनमेें कहीं भी ऑनलाइन प्रक्रिया नहीं है,अत: मुझे वेब संगोष्ठी अधिक उपयुक्त प्रतीत होता है।

डॉ. राजेश कुमार वर्मा(इंदौर)-

सादर नमस्कार,शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास इंदौर महानगर इकाई ने यह तय किया है कि अब हमारी जितनी भी ऑनलाइन संगोष्ठियाँ या कार्यशाला हो रही हैं,उनमें हम केवल ई-संगोष्ठी या ई-कार्यशाला शब्द का ही प्रयोग कर रहे हैं और मैं चाहूँगा कि पूरे देश में यह अभियान आगे बढ़ेl इस अभियान के तहत हर व्यक्ति,हर संस्था,हर संगठन,जो इस तरह के कार्य में लगा हुआ है,वह अपने हर कार्य को ई-संगोष्ठी को ई-कार्यशाला, ई-राष्ट्रीय संगोष्ठी,ई-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी इन नामों से ही जाने एवं अपने प्रपत्र पर अथवा सूचना-पत्र पर इन नामों का ही उल्लेख करें। इस प्रकार बहुत जल्दी हम विभिन्न शब्दों से बाहर निकल चुके होंगे और ई-संगोष्ठी,ई-कार्यशाला,ई-व्याख्यान इन चीजों पर ध्यान केन्द्रित होगा। इस अभियान के प्रति हमारी शुभकामनाएँl

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

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