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तनाव को कम करने के प्रयास भी सुधार की राह

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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चिकित्सक की गलतियों को रोगी भोगते हैं। पिता की गलतियों को बच्चे भोगते हैं। उसी प्रकार बच्चों की गलतियों का दण्ड माँ-बाप भोगते हैं। पत्नियों की गलतियों को पति भोगते हैं और पतियों की गलतियां प्राय: पत्नियां भोगती हैं। राजनेताओं की गलतियों को देशवासी भोगते हैं। मतदाओं की गलतियों को राष्ट्रभक्त भोगते हैं। दहेज प्रथाओं की गलतियों की पीड़ा कोख से लेकर दुल्हनों तक भोगती हैं। भ्रष्ट नेताओं व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की गलतियों का दण्ड राष्ट्र भोगता है। मूर्खों की गलतियों का दण्ड बुद्धिमान भोगते देखे जाते हैं। आज नहीं,सतयुग द्वापर त्रेता इत्यादि युगों से चलता आ रहा है।
सबसे बड़ी उल्लेखनीय विडम्बना यह है कि,किसी को भी अपनी गलती दिखाई ही नहीं देती। ऐसे में अपनी गलती स्वीकार कर उसे सुधारने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता, क्योंकि दूसरों की गलतियां की भूलों के कारण अपने-अपने जीवन में उत्पन्न हुए मानसिक विकारों एवं तनावों को कम करने के प्रयास भी सुधार की राह का शुभारम्भ कहलाता है।

परिचय-इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैl इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैl वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैl राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैl कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंl आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैl प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंl कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंl अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैl प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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