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जैसे साँसें धड़कन में

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष…

‘फागुन संग-जीवन रंग’ दे,
फागुन संग-जीवन रंग दे।
रंगत जैसी-रंगत जैसी,
सतरंगी धनुष की गगन में॥

ऐसे रंग से मन रंग दे,
ऐसे रंग से मन रंग दे।
दिखते जैसे-दिखते जैसे,
रंग फूलों के प्यारे चमन में॥

मन को मन का वो संग दे,
मन को मन का वो संग दे।
मनभेद न हो-मनभेद न हो,
बस प्रेम रहे हर मन में॥

नफरत की गिरें दीवारें,
नफरत की गिरें दीवारें।
संग-संग रहना,संग-संग रहना,
साँसें जैसे धड़कन में॥

फागुन संग जीवन रंग दे,
सतरंगी धनुष सा गगन में।
रंग फूलों से प्यारे चमन में,
बस प्रेम रहे हर मन में।
जैसे साँसें धड़कन में…॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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