मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)
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‘ओ हो पापा! देखो-देखो कितने सैनिक मारे गये…l’ इतना कहते-कहते सम्यक की आँखों में आँसू छलछलाने लगेl उसे इस तरह रोता देख सांत्वना देने के बजाय विकास ने डांटते हुए कहा-
‘सम्यक! तुम पूरे बारह साल के हो गए हो और तुम्हें इतना भी नहीं पता कि,हमारे देश के सैनिकों की ड्रेस क्या है ? यह हमारे देश के सैनिक नहीं हैं,समझेl अपना जनरल नॉलेज बढ़ाओ,नहीं तो गधे के गधे ही रह जाओगेl’
इस पर सम्यक ने आँसू पोंछते हुए बहुत ही भाव विह्ल हो कहा-
‘पापा! मुझे मालूम है यह हमारे देश के सैनिक नहीं हैं,किंतु किसी भी देश के हों,मरने वाले तो इंसान ही हैं ना पापाl’
बेटे का करुणामयी निष्पक्ष मानवीय पहलू देख विकास भाव विभोर हो सोचने लगा-
‘वास्तव में आज पूरे विश्व को इसी विचार की आवश्यकता हैl’
परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।