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ईश्वर के रूप

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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ईश्वर वह है किसका वर्णन करना आसान नहीं,
हर वस्तु में है ईश्वर सच में उसका निशान नहीं।
जो भरता है संसार का पेट भूखे रहकर खेत में,
वह भी तो भगवान का रूप है,एक किसान नहीं॥

हर तृण हर पात के सचेत मन में एक ईश्वर है,
हर जीव-जंतु हर कीट के तन में एक ईश्वर है।
हर चीज में समान रूप से है ईश्वर इस संसार में,
हर दिन हर पल और हर नूतन में एक ईश्वर है॥

पांव के छिले छाले हाथ की लकीर हैं ईश्वर,
महलों में राजा और भटकता फकीर है ईश्वर।
अम्बर में चाँद,तारे और उड़ते हुए पक्षी हैं सब,
सुख में प्रसन्नता,दु:ख में पनपती पीर है ईश्वर॥

माया निराली ईश्वर की,एक रूप से रूप अनेक,
अनेक रूपों से हैं वह स्वयं में स्वरूप अनेक।
एक होकर अनेक,अनेक होकर एक है ईश्वर,
कभी बने हैं रंक तो कभी हैं स्वयं भूप अनेक॥

ईश्वर तेरे ध्यान से,मन हो जाता पवित्र।
उगता है नया सूरज,फिर फैल जाता इत्र॥

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

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