अनिल कसेर ‘उजाला’
राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)
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ले कर ईश्वर तेरा नाम,
कर रहे तुझको बदनाम
बात-बात कहते भगवान,
आगे रखते खुद का नाम
बड़ी मुश्किल से मिलता तन,
फिर भी नहीं करते अच्छे काम।
कर रहे तुझको बदनाम…
एक-दूजे को सब समझाते,
जाने क्यूँ फिर समझ न पाते
संतों का पहन के चोला,
धन को माने चारों धाम।
कर रहे तुझको बदनाम…
मानवता को धर्म बताते,
पंथ अपना ही चलाते
राम-रहीम की बाते करते,
लोभ लालच करते तमाम।
कर रहे तुझको बदनाम…
रखो न तुम दिल में खार,
जीवन हो जाएगा बेकार
बन जाओ सच्चा इंसान,
तब लगेगा बुराई पे विराम।
मिल कर ईश्वर को करें प्रणाम॥
परिचय –अनिल कसेर का निवास छतीसगढ़ के जिला-राजनांदगांव में है। आपका साहित्यिक उपनाम-उजाला है। १० सितम्बर १९७३ को डोंगरगांव (राजनांदगांव)में जन्मे श्री कसेर को हिन्दी,अंग्रेजी और उर्दू भाषा आती है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)तथा पीजीडीसीए है। कार्यक्षेत्र-स्वयं का व्यवसाय है। इनकी लेखन विधा-कविता,लघुकथा,गीत और ग़ज़ल है। कुछ रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सच्चाई को उजागर करके कठिनाइयों से लड़ना और हिम्मत देने की कोशिश है। प्रेरणापुंज-देशप्रेम व परिवार है। सबके लिए संदेश-जो भी लिखें,सच्चाई लिखें। श्री कसेर की विशेषज्ञता-बोलचाल की भाषा व सरल हिन्दी में लिखना है।