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गुरु हैं धरती पर भगवान

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’
बहादुरगढ़(हरियाणा)
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शिक्षक दिवस विशेष………..

प्रभु देते हैं जिन्दगी,माता-पिता देते हैं खूब दुलार,
खूबियों का एहसास करा गुरु जीवन को देते संवार।

गुरु वही जो जीना सिखाए,कराए आपसे आपकी पहचान,
गुरु के बिना ज्ञान नहीं,ज्ञान बिना कोई कैसे बने महान।

गुरु ही रखते ज़मीं से आसमां तक,ले जाने का हुनर,
गुरु की महिमा से शिष्य की गरिमा बढ़ गई है कुछ इस कदर।

शिष्य ने पाई सफलता की ऊंचाई तो गुरु को भी मिलता सम्मान,
तराश कर बना दिया उसे हीरा जिसने,वो है धरती पर भगवान।

ज्ञान से ही बना सुन्दर जीवन,सारथी बन गुरु ने खूब साथ निभाया है,
जब-जब गिरा सम्भाला उसने,हर मुश्किल को ही आसान बनाया है।

गुरु ब्रम्हा ने उपजाया,गुरु विष्णु की है माया,गुरु महादेव का साया,
गुरु के प्रताप से जीवन में सब-कुछ है पाया,गुरु ही है पेड़ों की छाया।

गुरु चरणों में जिसने शीश नवाया,वही ही तो पूरे जगत को भाया,
वही तपा,बना सोने से कुंदन,जग में उसने खूब नाम कमाया।

भ्रम में पड़े अर्जुन को,ही श्री कृष्ण ने दिया था गीता का पावन ज्ञान,
निभा गुरु की भूमिका,धर्म को किया स्थापित,दिलाया उचित सम्मान।

इंटरनेट पर ज्ञान है पर,अच्छे-बुरे की होती,वहाँ पहचान नहीं,
शिष्य और गुरु के आचरण पर,अब कोई भी लेता कभी संज्ञान नहीं।

महंगी-महंगी फीस ने,आमजन की कर दी है शिक्षा से कितनी दूरी,
शिक्षा बनी व्यापार,नहीं रहा कोई आधार,यही है सबसे बड़ी मज़बूरी।

बहुत से गुरु अब भी नैतिकता की राह पर करते हैं नेकी का काम,
माँ सरस्वती की कृपा से,यहीं पर ही हो जाते हैं पूरे चारों धामll

परिचय–राजकुमार अरोड़ा का साहित्यिक उपनाम `गाइड` हैL जन्म स्थान-भिवानी (हरियाणा) हैL आपका स्थाई बसेरा वर्तमान में बहादुरगढ़ (जिला झज्जर)स्थित सेक्टर २ में हैL हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री अरोड़ा की पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी) हैL आपका कार्यक्षेत्र-बैंक(२०१७ में सेवानिवृत्त)रहा हैL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत-अध्यक्ष लियो क्लब सहित कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव हैL आपकी लेखन विधा-कविता,गीत,निबन्ध,लघुकथा, कहानी और लेख हैL १९७० से अनवरत लेखन में सक्रिय `गाइड` की मंच संचालन, कवि सम्मेलन व गोष्ठियों में निरंतर भागीदारी हैL प्रकाशन के अंतर्गत काव्य संग्रह ‘खिलते फूल’,`उभरती कलियाँ`,`रंगे बहार`,`जश्ने बहार` संकलन प्रकाशित है तो १९७८ से १९८१ तक पाक्षिक पत्रिका का गौरवमयी प्रकाशन तथा दूसरी पत्रिका का भी समय-समय पर प्रकाशन आपके खाते में है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्राप्त सम्मान पुरस्कार में आपको २०१२ में भरतपुर में कवि सम्मेलन में `काव्य गौरव’ सम्मान और २०१९ में ‘आँचलिक साहित्य विभूषण’ सम्मान मिला हैL इनकी विशेष उपलब्धि-२०१७ में काव्य संग्रह ‘मुठ्ठी भर एहसास’ प्रकाशित होना तथा बैंक द्वारा लोकार्पण करना है। राजकुमार अरोड़ा की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा से अथाह लगाव के कारण विभिन्न कार्यक्रमों विचार गोष्ठी-सम्मेलनों का समय समय पर आयोजन करना हैL आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-अशोक चक्रधर,राजेन्द्र राजन, ज्ञानप्रकाश विवेक एवं डॉ. मधुकांत हैंL प्रेरणापुंज-साहित्यिक गुरु डॉ. स्व. पदमश्री गोपालप्रसाद व्यास हैं। श्री अरोड़ा की विशेषज्ञता-विचार मन में आते ही उसे कविता या मुक्तक रूप में मूर्त रूप देना है। देश- विदेश के प्रति आपके विचार-“विविधता व अनेकरूपता से परिपूर्ण अपना भारत सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, साहित्यिक, आर्थिक, राजनीतिक रूप में अतुल्य,अनुपम, बेजोड़ है,तो विदेशों में आडम्बर अधिक, वास्तविकता कम एवं शालीनता तो बहुत ही कम है।

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