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गुरु नवचेतना वर दो

आशा जाकड़ ‘ मंजरी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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ज्ञान चाहता है अंतर्मन,
हर्षित हो जाएं जन-जन
करते मन में हम यह प्रण,
शिक्षा का करें अभिनंदन
अनुपम प्रकाश भर दो,
गुरु नवचेतना वर दो।

चारों ओर है घोर अंधेरा,
कर सकते हो तुम उजेरा
ज्ञान का हो यहाँ बसेरा,
सुख सूर्य का रोज सवेरा
ऐसी शक्ति भर दो।
गुरु नवचेतना वर दो…॥

नफरत और ईर्ष्या मिट जाए,
ऊंच-नीच का फर्क मिट जाए
जाति-पांति का भेद मिट जाए,
परस्पर समता भाव लहराए
ऐसा ज्ञान भर दो।
गुरु नवचेतना भर दो…॥

आज समय की मांग पुकारे,
कर सकते हो तुम्हें उबारे
तुम्हीं हो भारत के रखवाले,
राष्ट्र निर्माता पूज्य हमारे
ऐसे गुरु भक्ति दो।
गुरु नवचेतना भर दो…॥

जगती का उद्धार तुम्हीं हो,
मुक्ति का सही मार्ग तुम्हीं हो
प्रेम का सद्व्यवहार तुम्हीं हो,
नैया की पतवार तुम्हीं हो
बुद्धि विकास वर दो।
गुरु नवचेतना वर दो…॥

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