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नफरत वाले हारे

मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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मेरे गुलशन को तुम महकाते हो,
मेरे आँगन में तुम खिल जाते हो।
तुम में मधुरस भरा महकती साँसें-
प्रीत की धरा इस तरह सजाते हो॥

प्रीत झरोखे से प्रेम झरना झरा,
प्रेम पुण्य पल पावन मन हरा धरा।
सदा बना रहता रिश्तों का बंधन,
वो जीवन जो खुशियों से रहा भरा॥

मन में नीला अम्बर चाँद-सितारे,
पुष्प लता से महके रिश्ते सारे।
आता सूरज देखकर निशा जाती-
प्रेम गया जीत, नफ़रत वाले हारे॥

परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैl वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैl यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।

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