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वे भारत माँ के लाल

मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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इस मिट्टी में अपना
लहू ले कर चलते हैं,
मातृभूमि पर प्राण
न्यौछावर कर देते हैं,
वो भारत माँ के लाल
घर-परिवार छोड़ कर
देश साथ रखते हैं।
मिटा देते ख़ुद को,
तिरंगे की आन के लिए
कफ़न तिरंगा हो,
वो ये ख़्वाब ले कर चलते हैं।
न सोचते,
आगे-पीछे क्या होगा ?
देश के लिए जीते
देश के लिए ख़ुद को मिटाते,
सीमा पर हर पल तैयार रहते
दुश्मन के हर पत्थर,
का ज़वाब ख़ुद बन जाते हैं।
जो हमको ललकारते,
हमसे जो लड़ते
वो ख़ुद ही मिट जाते हैं।
बाजुओं में हिम्मत,जोश
भारत माँ के जय घोष से भराl
वतन मेरा सलामत रहे…,
वतन की मोहब्बत का रंग भराll

परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैl वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैl यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।

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