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हिंदी-सेवी मृदुला सिन्हा का जाना साहित्य की अपूरणीय क्षति

गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा न केवल एक साहित्यकार थी,बल्कि एक सशक्त हिंदी सेवी भी थीं। २०१४ में वे गोवा की राज्यपाल बनी थी। उसी वर्ष हमने मुंबई में वैश्विक हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया था। हमने उन्हें मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित किया था। राज्यपाल बनने के बाद वे हिंदी के किसी कार्यक्रम में पहली बार शामिल हुई और राज्यपाल के रूप में पहली बार मुंबई पहुंची थी।
सम्मेलन में उनका संबोधन भी बहुत ही प्रभावी था। सम्मेलन के पहले और बाद में भी आशा के विभिन्न बिंदुओं पर उनसे चर्चा हुई थी। उनके व्यवहार में एक सरलता थी। उस समय वे बिल्कुल स्वस्थ थीं। राज्यपाल होने के बावजूद भी मैंने उनके व्यवहार में किसी प्रकार का कोई अहं भाव नहीं देखा।
उनका अचानक इस प्रकार जाना सभी हिंदी प्रेमियों,हिंदी सेवियों और साहित्यकारों आदि के लिए एक बहुत बड़ी हानि है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

(सौजन्य: वैश्विक हिन्दी सम्मेलन,मुम्बई)

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