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विवाह

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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विवाह सिर्फ़
एक संस्कार ही नहीं,
दो परिवार के
विश्वास का नाम है।
दो दिलों के
आत्मिक प्रेम का,
मिलन है।
पहना कर
एक-दूसरे की,
अनामिका में अंगूठी
जोड़ देते हैं,
दिल से दिल का
मज़बूत सम्बन्ध।
छोटी-मोटी
रस्मों के बाद,
बेटी का हाथ
वर के हाथ में देकर,
पिता अपने
दिल के टुकड़े को,
सौंप देता है
एक अनजान को।
पाणिगृहण कर
कर देता है,
कन्यादान।
सात फेरों में
सात वचनों में,
बंध जाता है
ये पावन बंधन,
सात जन्मों के लिए।
भीगी आँखों से
हो जाती है विदा,
छोड़ कर
नेहर का आँगन,
निभाने एक नया रिश्ता
बसाने एक नया घर॥

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

 

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