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घर-परिवार से मिलती इक पहचान

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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घर-परिवार स्पर्धा विशेष……

रचना शिल्प-१३/१३
सबको जीवन में खुशी,
देता घर-परिवार है।
बिन इसके मिलता नहीं,
सपनों को आकार है॥

रहता जो परिवार में,
वह पाता संस्कार है।
मिट जाते दु:ख-दर्द भी,
मिलता सबको प्यार है॥

माँ की ममता हो जहाँ,
बाबा की फटकार हो।
बच्चों की शैतानियाँ,
ऐसा घर-परिवार हो॥

खुशियाँ हो हर एक दिन,
दीवाली हर रात हो।
साथ रहें माता-पिता,
सबके मन की बात हो॥

जैसे मोती गूंथकर,
बनता सुंदर हार है।
रिश्ते की इक डोर से,
बँधता ये परिवार है॥

सबको घर-परिवार से,
मिलती इक पहचान है।
सपने पूरे हों सभी,
जग में मिलता मान है॥

पुरखों ने हमको दिया,
जीवन का निष्कर्ष यह।
रहता जो परिवार में,
पाता है उत्कर्ष वह॥

गूँजे रहती है सदा,
बच्चों की किलकारियाँ।
उत्सव अरु त्यौहार पर,
करते सब तैयारियाँ॥

पाते सब परिवार में,
सुंदर जीवन रूप को।
देता शीतल छाँव जो,
रोके तपती धूप को॥

मानव को सौभाग्य से,
मिलता घर-परिवार यह।
रहती है खुशियाँ सदा,
पाता सबका प्यार वह॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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