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संप्रदाय-पंथ के नाम से अलगाव कब तक ?

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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घुमा-फिरा कर सभी लोग यह स्वीकार करते हैं कि,इस दुनिया को बनाने वाली एक ही शक्ति है।इसके आरंभ की कहानी सभी धर्मों की जो भी हो, सृष्टि का प्रारम्भ जैसे भी हुआ हो,लेकिन सत्य यह है कि सृष्टि का अंत मनुष्य की दुर्बुद्धि और स्वार्थ के कारण फैले प्रदूषण (वैचारिक,पर्यावरण, वातावरण आदि) व जनसंख्या विस्फोट से ही होगा।
धर्म के नाम पर बने सम्प्रदाय,जहाँ यह बताया जाता हो कि दूसरे धर्म वाला व्यक्ति हेय व तुच्छ है तथा जहां धर्म के नाम पर हिंसा की वकालत की जाती हो,तो जान लो वह धर्म-सम्प्रदाय झूठा हैl उसे हम आतंकवाद,नक्सलवाद या अन्य कोई भी नाम दे सकते हैं,परन्तु वह धर्म कदापि नहीं हो सकता, क्योंकि जो भगवान जो प्रत्येक पशु,पक्षी,वृक्षों की हज़ारों प्रजातियां बना सकता है,यदि उसे मनुष्य को जाति-धर्म में विभक्त करना होता,तो वह अलग बना सकता था। अतः,जो धर्म के नाम पर अलगाव करते हैं,वह झूठे है। मनुष्य की एक ही जाति है-मनुष्य जाति,एक धर्म है मानवता-
केवल एक जाति है मानव,
मानवता ही एक धर्म है।
जियो और जीने दो सबको,
यही धर्म का मूल मर्म हैll
जो स्वर्ग (जन्नत इत्यादि) जाने का छोटा रास्ता ढूढंते हैं,उन्हें ही धर्म के व्यापारी बेफकूफ बनाते रहते हैं। स्वर्ग की वास्तविकता तो कोई नहीं जानता ,लेकिन जो हमें बताया जाता है वह बताने वाले की मनोभूमि पर निर्भर करता है। भिखारी यदि धार्मिक पुस्तक लिखेगा तो स्वर्ग के बारे में लिखते वक्त अच्छी अच्छी भोजन की वस्तु को लिखेगा। शराबी अपनी धार्मिक पुस्तक में स्वर्ग के बारे में विभिन्न शराबों का उल्लेख करेगा। व्यभिचारी व काम भावना से ग्रसित व्यक्ति की धार्मिक पुस्तक में अप्सराएं,हूरें,सुंदर कन्याओं का वर्णन होगा। रेगिस्तान के व्यक्ति की धार्मिक पुस्तक में स्वर्ग में ठंडक होगी और ठंडे प्रदेशों के स्वर्ग में गर्मी होगी, साथ ही जिन लोगों के बीच धर्म का प्रचार करना है ,उनकी रुचियों को भी ध्यान रखते हुए उनके काल्पनिक सुख स्वर्ग में लिखे जाएंगे,तभी तो धंधा चलेगा। यदि सही मानवता धर्म बता दिया गया कि, देखो सभी मनुष्य जाति एक है,सभी को एक ने ही बनाया है,तो इन तथाकथित मजहब के ठेकेदारों का गोरखधंधा ही बंद हो जाएगा-
नहीं युद्ध से कभी डरे हम,
डरते हैं छल-छंदों से।
कभी नहीं हारे दुश्मन से,
हारे हैं जयचंदों सेll
धर्म सदा शुचिता,समता,
सन्मार्ग,सिखाताl
धर्म हुआ बदनाम सिर्फ,
मजहब के गोरखधंधों सेll
चिकित्सक की प्रयोगशाला में ४ अलग धर्म के व्यक्ति के हाल के जन्मे बच्चे का रक्त परीक्षण व एक्स-रे करके यह नहीं बताया जा सकता कि,यह अमुक धर्म का बच्चा है। नकली धार्मिक अलगाव जन्म के बाद मनुष्य करता है।
सूर्य,चंद्रमा,तारे,जल स्त्रोत,हवा प्रकृति इत्यादि साझा संसाधन हैं,इनका मजहबी नाम बदल देने से यह बदल नहीं जाते। इनकी कद्र नहीं की और मिलकर इनका संरक्षण नहीं किया तो सामूहिक मौत मरने की तैयारी ही समझनी चाहिए। इन बातों पर सभी बुद्धिजीवियों को ध्यान देना चाहिए कि, कैसे विनाश की ओर बढ़ती मानव जाति को सही दिशा दें ?
यदि हम सब साथ मिलकर प्रयास करें तो विश्वास मानिए सभी धर्म व्यापारी रास्ते पर आ जाएंगे,आतंकवाद मिट जाएगा,धरती पुनः हरी-भरी हो जाएगी,और अखंड विश्व की परिकल्पना साकार हो सकेगी।

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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