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नम्रता

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
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नम्रता मानवी जो गुण है,
ग्रहण करो,ये सदगुण है।

प्रेम भाव मन में जो रखते,
नम्रता से सबको परखते।
सदाचार से जीतते मन को,
सदा मोहते सबके मन को।
सदाचार मानता गुण है,
ग्रहण करो,ये सदगुण है॥

परहित में कुछ कर लो काम,
हो जाएगा जग में तेरा नाम।
धीरज धर्म-कर्म और पूजा,
सत्य अहिंसा सदगुण दूजा।
सत्य कर्म जीवों का गुण है,
ग्रहण करो,ये सदगुण है॥

राग द्वेष कुकर्म बिसरा के,
जीवन को सफल बना के।
अच्छे कर्म करो जीवन में,
मन को लगा ईश सुमिरन में।
कल्याण सुहावन गुण है,
ग्रहण करो,ये सदगुण है॥

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