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शोषण से मुक्ति-समानता मिले,तभी धुरी बनेगी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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महिला दिवस स्पर्धा विशेष……

हे पुरुष! वास्तविक रूप में तो मैं केन्द्र हूँ,और तुम धुरी,पर व्यवहार में तुम केन्द्र बने हुए हो,और मैं धुरी होकर रह गई हूँ।ऐसा,इसलिए है,क्योंकि महिला सशक्तिकरण का कार्य फलीभूत नहीं हो पाया है।वास्तव में महिला सशक्तिकरण से जुड़े सामाजिक, आर्थिक,राजनीतिक और कानूनी मुद्दों पर संवेदनशीलता और सरोकार व्यक्त किया जाता है।सशक्तिकरण की प्रक्रिया में समाज को पारंपरिक पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण के प्रति जागरूक किया जाता है,जिसने महिलाओं की स्थिति को सदैव कमतर माना है। वैश्विक स्तर पर नारीवादी आंदोलनों और यूएनडीपी आदि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने महिलाओं के सामाजिक समता, स्वतंत्रता और न्याय के राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिला सशक्तिकरण,भौतिक या आध्यात्मिक,शारिरिक या मानसिक सभी स्तर पर महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर उन्हें सशक्त बनाने की प्रक्रिया है।
सन् २०१७ के अन्तर्राष्ट्रीय साहसी महिला पुरस्कार विजेताओं के साथ मिलेनिया ट्रम्प ने महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया है कि-‘इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है जिससे वह अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है। इसमें ऐसी ताकत है कि वह समाज और देश में बहुत कुछ बदल सके। वह समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से निपट सकती है।
विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने के लिए भारत सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई गई हैं। भारत की आधी आबादी महिलाओं की है,और विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर महिला श्रम में योगदान दे तो भारत की विकास दर दहाई की संख्या में होगी।
महिला को समाज की धुरी बनाने के लिए किए गए प्रयास यूँ है-

समान वेतन का अधिकार-

समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता।
कार्य-स्थल में उत्पीड़न के खिलाफ कानून-
यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत इनको कार्य स्थल प्लेस पर हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का पूरा हक है। केंद्र सरकार ने भी महिला कर्मचारियों के लिए नए नियम लागू किए हैं,जिसके तहत शोषण की शिकायत दर्ज होने पर महिलाओं को जांच लंबित रहने तक ९० दिन की भुगतान छुट्टी दी जाएगी।
कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार-
भारत के हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह एक महिला को उसके मूल अधिकार ‘जीने के अधिकार’ का अनुभव करने दें। गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक लिंग चयन पर रोक अधिनियम कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।
संपत्ति पर अधिकार-
हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है।
गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार-
किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।
महिला सशक्तिकरण-
महिलाओं का पारिवारिक बंधनों से मुक्त होकर अपने और अपने देश के बारे में सोचने की क्षमता का विकास होना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।
निष्कर्ष यही निकलता है कि महिलाओं को समानता मिले,शोषण व उत्पीड़न से मुक्ति मिले।वे सबल बनें,तभी महिला सशक्तिकरण फलीभूत होगा। तभी महिला परिवार,समाज और सभ्यता-संस्कृति की वास्तविक रूप में केन्द्र बन सकेगी-
‘महिला जब होगी प्रबल,तभी फलेगा सार।
धुरी बने महिला अगर,हो उसका उद्धार॥’

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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