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ना मिले तो जिन्दगी चुपचाप है…

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष…

जल की प्यास सच मानो तो सभी को है,
लेकिन गंगाजल जैसा कोई जल नहीं है।

जीवन में जल की बहुत है महानता,
जल बिना इंसान,कभी नहीं जीता।

हर जीव को जल की है जरूरत,
वरना मर के बनेगा मिट्टी की मूरत।

जल से ही पूजा-पाठ जप-तप है,
जल ना मिले तो जिन्दगी चुपचाप है।

जल से ही घर,द्वार बने जल से ही,
जल से ही घरों में हीरा लाल जड़ें।

कल-कारखाने जो जितने हैं चलते,
जल के बिना वह कभी नहीं बनते।

जन्म लेते ही मुँह में जल को देना,
अंतिम क्षणों मे गंगाजल है देना।

पंछी को भी पानी की होती है प्यास,
मटका जल भर रखते पेड के पास।

इन्सान हो या दुष्ट,दल दानव हो,
चाहे बड़े जानवर हो या मानव हो।

जल की प्यास हर जीवन को है,
जल ना मिले तो,जान निर्जीव है।

जल के लिए ताल-तलैया बना है कूप,
जल से प्यास बुझती रही छाँव या धूप।

चिता जला के फिर पवित्र आत्मा को,
जल ही शीतल करता मृत आत्मा को॥

सोंचो,जल बिन भला कैसे जीवन है,
जल ही जीवन है…जल ही जीवन है॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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