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गांधी ना बन पाऊंगा

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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गांधी जयंती विशेष…………

सत्य के मार्ग पर…तो चलूंगा,
लेकिन भ्रष्ट सोच को
अहिंसा से कैसे मिटाऊंगा ?
मैं गांधी ना बन पाऊंगा…।

क्या…मैं गांधी बन,
एक गाल पर चांटा खाकर
दूसरा गाल भी,
सामने कर जाऊंगा।
नहीं…मैं,
मजलूमों पर उठने वाला
हाथ तोड़ कर आऊंगा।
मैं गांधी ना बन पाऊंगा…

जुल्मों के खिलाफ…क्या…?
धरना देकर मांग-पत्र दे जाऊंगा।
मैं आजाद हिंद की,
क्रांति को कैसे मूक कर जाऊंगा।
मैं गांधी ना बन पाऊंगा…

कमजोर बेसहारों के लिए,
आवाज से लेकर हाथ तक उठाऊंगा।
मैं अहिंसा की कदर करता,
लेकिन,जो नहीं समझते
उन्हें हिंसा से ही समझाऊंगा।
मैं गांधी ना बन पाऊंगा…

मैं देश के गद्दारों से,
अहिंसा के संग कैसे लड़ पाऊंगा।
इनको इनकी भाषा में ही,
अहिंसा का सबक सिखाऊंगाll

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैL ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैL आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैL पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंL इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंL सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैL आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंL समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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