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इम्यूनिटी

डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
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“हम लोग रोज सुबह-शाम काढ़ा पी रहे हैं। काजू बादाम पिस्ता जैसे डॉयफ्रूट खा रहे हैं। सेब,अनार,मौसम्बी,संतरा का जूस पी रहे हैं। पनीर,पीनट मक्खन खा रहे हैं। दोनों टाइम भरपेट खाना खा रहे हैं। योग,ध्यान और व्यायाम कर रहे हैं तो हमारी इम्यूनिटी बढ़िया हो ही जाएगी दीदी,आप हम लोगों की चिंता मत करो।”
मिसेज गोयल मोबाइल पर अपनी दीदी से कह रहीं थीं। झाड़ू-पोंछा करते हुए मिसेज गोयल की काम वाली बाई अपनी मालकिन की बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी। घर आकर उसने अपने मजदूर पति से रुआंसे स्वर से कहा-“सुनो जी,हमारी मालकिन का परिवार रोज काढ़ा पीता है। काजू,बादाम,पनीर,मक्खन खाता है। मौसम्बी और संतरे का जूस पीता है। योग व्यायाम करता है।दोनों टाइम भरपेट खाना खाता है तो उनका इम्यूनिटी बढ़िया होगा ही और उनको जल्दी से ‘कोरोना’ भी नहीं होगा। हम लोगों के पास तो एक टाइम खाने के लाले पड़े हैं तो हम लोगों का क्या होगा ?”
उसकी बात सुनकर पसीना पोंछते हुए मजदूर पति ने कहा-“तुम चिन्ता मत करो। भले ही हमारे पास महंगा खाना-पीना नहीं है,पर हमारे पास मेहनत का पसीना है फिर हमें योग-व्यायाम करने की क्या आवश्यकता है ? इम्यूनिटी बढ़ाने की आवश्यकता वाकई पैसे वालों को है,हमें नहीं।”
यह सुनकर काम वाली बाई के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।

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