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हिन्दी समाचारों में हिंग्लिश का प्रयोग व कार्यक्रमों का नामकरण अंग्रेजी में करने के विरुद्ध अभ्यावेदन

राजभाषा विभाग,
गृह मंत्रालय
एनडीसीसी-II (नई दिल्ली सिटी सेन्टर) भवन, ‘बी’ विंग
चौथा तल,जय सिंह रोड,नई दिल्ली -११०००१

विषय: दूरदर्शन द्वारा हिन्दी समाचारों में हिन्दी के स्थान पर हिंग्लिश का प्रयोग निरंतर बढ़ाने व हिन्दी कार्यक्रमों का नामकरण अंग्रेजी में करने के विरुद्ध अभ्यावेदन।

महोदय,

दूरदर्शन (प्रसार भारती) भारत सरकार का अंग है और इसलिए उस पर भारत का संविधान और राजभाषा अधिनियम, राजभाषा नियमावली आदि पूर्ण रूप से लागू होते हैं। संविधान के अनुच्छेद ३४३ में स्पष्ट लिखा है कि-(१) संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी,संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा। इस अनुच्छेद में कहीं भी नहीं लिखा है कि हिन्दी को रोमन में लिखा जा सकता है,पर पिछले काफी समय से प्रसार भारती द्वारा संचालित दूरदर्शन,आकाशवाणी आदि के हिन्दी समाचारों में अतिप्रचलित शब्दों के स्थान पर जबरन अंग्रेजी शब्दों को ठूँसा जा रहा है,हिन्दी बुलेटिनों के नाम अंग्रेजी में रखे जा रहे हैं।
२०१३ से दूरदर्शन में निजी समाचार चैनलों की देखा-देखी हिंग्रेजी की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत दूरदर्शन समाचारों में अंग्रेजी शब्दों को ‘रोमन लिपि’ में ही लिखा जा रहा है,जैसे जम्मू-कश्मीर को J & K, मुख्यमन्त्री को CM,प्रधानमन्त्री को PM, केन्द्रीय जाँच आयोग को CBI आदि। यह तो मात्र उदाहरण हैं,यह सूची काफी लम्बी है।
ऐसा करने वाले अधिकारियों का तर्क यह है कि इससे हिन्दी भाषा सरल और सुगम हो जाएगी,जबकि सच्चाई यह है कि अगले पाँच वर्षों में ही हिन्दी के लाखों शब्द प्रचलन से बाहर हो जाएँगे,लोग वैसे ही देवनागरी से दूर हो चुके हैं, बाकी कसर पूरी हो जाएगी और हो सकता है आने वाले समय में टीवी के हिन्दी समाचारों में लिखा हुआ केवल रोमन लिपि में ही दिखाई देगा। जैसा ‘डीडी इण्डिया’ चैनल के हिन्दी समाचार आज भी अंग्रेजी में लिखे जाते हैं और टीवी पर अंग्रेजी में ही प्रदर्शित होते हैं।
मुझे इनकी सोच पर दया आती है,यह महान लोग ऐसी महान सोच को अंग्रेजी बुलेटिनों पर लागू क्यों नहीं करते ? ऐसा करके उनका पूरे भारत पर अंग्रेजी को थोपने का अभियान जल्दी सफल हो जाएगा,क्योंकि प्रचलित हिन्दी शब्दों और देवनागरी लिपि से अंग्रेजी सरल हो जाएगी और समृद्ध भी हो जाएगी, परन्तु जब तक वे ऐसी सोच ‘अंग्रेजी’ के लिए लागू नहीं करते उन्हें भारत की राजभाषा हिन्दी,जनभाषा हिन्दी और मेरी मातृभाषा हिन्दी को ‘प्रदूषित’,’निकृष्ट’,’अधकचरी’ भाषा बनाने का कोई अधिकार नहीं है। यह संविधान के विरुद्ध है। यदि उनको ऐसा करने का ही बड़ा शौक है तो पहले संविधान के अनुच्छेद ३४३ में संशोधन करवाएँ। राजभाषा अधिनियम में भी ऐसा नहीं लिखा है कि सरकारी एजेंसी अपने आधिकारिक समाचारों में अंग्रेजी शब्दावली एवं रोमन लिपि का प्रयोग करने को स्वतंत्र है।
आजकल हिंदी कार्यक्रमों का नामकरण अंग्रेजी में किया रहा है। वर्तमान में दूरदर्शन पर कार्यरत नये समाचार वाचकों को हिन्दी का ज्ञान नहीं है,उनका उच्चारण बहुत खराब है और वे एक वाक्य बोलने में भी केवल हिंग्रेजी का उपयोग करते हैं,हिन्दी में संख्या बोलने में उनकी जीभ लड़खड़ाती है।
आपसे विनम्र अनुरोध है कि-
१.प्रसार भारती के सभी निकायों (दूरदर्शन/आकाशवाणी/एफएम रेडियो आदि) के आधिकरिक हिन्दी समाचारों में संविधान के विरुद्ध अनधिकृत,अनावश्यक अंग्रेजी शब्दावली एवं रोमन लिपि के आक्रांत प्रयोग से राजभाषा #हिन्दी को ‘प्रदूषित’, ‘निकृष्ट’, ‘अधकचरी’ भाषा बनाने के प्रयासों पर तुरंत रोक लगाने हेतु निर्देश दें।
२.प्रसार भारती/आकाशवाणी के एफएम चैनलों के नाम ‘हिन्दी’ में रखवाए जाएँ (वर्तमान नाम:एफएम गोल्ड,एफएम रेनबो)।
३.प्रसार भारती के सभी निकायों (दूरदर्शन/आकाशवाणी/एफएम रेडियो आदि)के हिन्दी /स्थानीय भाषाओं में प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों के हिन्दी/सम्बंधित स्थानीय भाषाओं में रखे जाएँ।
४.प्रसार भारती/आकाशवाणी के एफएम चैनलों पर हिंदी कार्यक्रम/हिन्दी समाचार प्रस्तुत करने वाले प्रस्तोताओं को हिंदी बोलने और हिन्दी में वाचन करने का सही और निरंतर प्रशिक्षण दिया जाए,हिंग्लिश बोलने वालों को हिंदी कार्यक्रम/हिन्दी समाचार प्रस्तुत करने के लिए नौकरी पर ना रखा जाए ,उनके लिए अंग्रेजी भाषा के कार्यक्रमों की राह खुली है।
५.दूरदर्शन द्वारा खेलों के सीधे प्रसारण में ‘स्टार स्पोर्ट्स चैनल ३’ की तरह स्कोर बोर्ड आदि अंग्रेजी के अलावा हिन्दी में भी प्रदर्शित हो,इसकी व्यवस्था करवाई जाए। जब निजी चैनल हिन्दी के लिए ऐसी सुविधाएँ शुरू करके अपना बाजार मजबूत करते हैं,तो राष्ट्रीय चैनल राजभाषा हिन्दी के लिए ऐसे कदम क्यों नहीं उठाते ?
६.शेयर बाज़ार सम्बन्धी बाज़ार भाव की पट्टी (स्क्रोल) डीडी न्यूज़ पर केवल अंग्रेजी में चलती है,उसमें हिंदी में नाम प्रदर्शित हों, इसकी सुविधा जोड़ी जाए। आम नागरिक भी इससे शेयर बाज़ार के सम्बन्ध में सूचनाएँ प्राप्त कर सकेंगे।
७.डीडी न्यूज़ के सभी यू-ट्यूब वीडियो में नाम,विवरण आदि अनिवार्य रूप से द्विभाषी रूप में डाले जाएं।
८.प्रसार भारती के सभी निकायों के ट्विटर/फेसबुक/यूट्यूब आदि पर बने आधिकारिक खातों पर नाम,परिचय आदि केवल अंग्रेजी में है,उसमें राजभाषा हिन्दी को शामिल करवाया जाए। प्रसार भारती की मुख्य वेबसाइट एवं अन्य संबंधित वेबसाइटों को हिन्दी में एक समयावधि में बनवाने के लिए आदेश दें। १९९९ में बने द्विभाषी वेबसाइट के नियम का आज भी पालन नहीं किया गया।
मेरे द्वारा उठाए गए उक्त ८ बिन्दुओं में राजभाषा अधिनियम,राजभाषा नियमावली, निर्देश अथवा संसदीय राजभाषा समिति की अनुशंसाओं पर जारी हुए राष्ट्रपति जी के आदेश आदि के किसी न किसी प्रावधान का उल्लंघन अवश्य होता है। कृपया प्रसार भारती को तुरंत निर्देश जारी करें,और मेरी शिकायत का निदान करवाएँ।

भवदीय प्रवीण जैन
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

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