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बारिश:गाँव और शहर

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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बारिश!
तू ठण्डी हवा के साथ,
अभी शहर में ही रह।
जहाँ ए.सी. चलाकर
फैलाया जा रहा हो प्रदूषण,
जहाँ दोपहर के जाम में फँसकर
रिक्शेवाले पोंछ रहे होते हैं,
गमछे से पसीना
और किसी पार्क में बैठकर,
युगल प्रेमी
भर रहे होते हैं आहें…
उन सबको सुकून बहुत मिलेगा।

मेरे गाँव में
अभी मत आना,
लोग बहुत निराश होंगे
सरसों,चना,तीसी
कटकर खेत में ही पड़े हैं,
गेहूँ,जो पकने को तैयार है
कटाई से पहले ही,
बरबाद हो जाएगी
और बरबाद हो जाएगी,
भविष्य की सारी आशाएं…
मेरे बाबूजी,
इस बार भी
साहूकार का कर्ज,
नहीं चुका पाएंगे
मुनिया की पढ़ाई भी,
रुक जाएगी
दहेज का इंतजाम,
न हो पाने के कारण
गुड़िया की शादी,
फिर से टाल दी जाएगी
हीरा द्वार पर बँधी गाय को,
सस्ते दाम बेच देगा।
और हलकू खेती छोड़,
मजदूरी करने को
विलश हो जाएगा॥

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

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