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आयकर विभाग की आनलाइन सेवाएं केवल अंग्रेजी में जारी रखने के विरुद्ध लोक शिकायत का अंग्रेजी में उत्तर लिखकर बिना समाधान बंद करने की शिकायत

मुम्बई(महाराष्ट्र)l

आयकर विभाग की आनलाइन सेवाएं केवल अंग्रेजी में जारी रखने के विरुद्ध लोक शिकायत का अंग्रेजी में उत्तर लिखकर बिना समाधान बंद करने की शिकायत की गई हैl शिकायत कर्ता ने उक्त अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग की हैl
दोबारा कि गई शिकायत में शिकायतकर्ता ने बताया कि-
महोदय,
मेरी १९ अक्टूबर २०१९ की शिकायत CBODT/E/2019/22417 को बिना समाधान किए राजभाषा नियमावली १९७६ के नियम ५ का उल्लंघन करते हुए आयकर विभाग के संयुक्त सचिव कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने अंग्रेजी में एक पंक्ति का उत्तर लिखते हुए बंद कर दी है, कृपया अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही करेंl साथ में मूल शिकायत भी देते हुए बताया है कि-
विषयःआयकर विभाग द्वारा लगातार आम जनता से भाषाई आधार पर भेदभाव करते हुए आयकर विभाग की आनलाइन सेवाएं केवल अंग्रेजी में जारी रखने के विरुद्ध लोक शिकायत।
महोदय,
संसदीय राजभाषा समिति की संस्तुति संख्या ४४ को स्वीकार करने वाले राष्ट्रपतिजी के आदेश को प्रसारित करते हुए राजभाषा विभाग के (राजपत्र में प्रकाशित) पत्रांक- I/20012/07/2005-रा.भा.(नीति-१) दिनांक ०२-०७-२००८ में कहा गया है,जब भी कोई मंत्रालय/विभाग या उसका कोई कार्यालय या उपक्रम अपनी वेबसाइट तैयार करे तो वह अनिवार्य रूप से द्विभाषी तैयार की जाएl जिस कार्यालय की वेबसाइट केवल अंग्रेजी में है,उसे द्विभाषी बनाए जाने की कार्यवाही की जाएl फिर भी राजभाषा को लागू करने में कोई कठिनाई आती है तो केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो अथवा आउटसोर्सिंग से इस प्रसंग में सहायता भी ली जा सकती है। भारत सरकार के नियमानुसार हिन्दी में वेबसाइट बनाना और उसे समय-२ पर अंग्रेजी वेबसाइट के साथ अद्यतन करना कानूनन अनिवार्य है।
आयकर विभाग द्वारा राष्ट्रपतिजी के उक्त आदेश का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है और उक्त आदेश के उल्लंघन की आम जनता द्वारा की जा रही ई-मेल व ऑनलाइन शिकायतों पर कार्यवाही नहीं की जाती है।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने २००९ में सरकारी वेबसाइटों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे,औऱ और २०१८ में उन्हें संशोधित किया है,जिनमें उपबंध ५ में विभाग ने स्वीकार किया है कि भारत सरकार की वेबसाइटें अंग्रेजी में होने के कारण नागरिकों के लिए उपयोगी नहीं हैं। आज ९ वर्षों के बाद भी स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है,जिसका सीधा मतलब है कि भारत सरकार के अधिकारी लगातार अंग्रेजी वेबसाइटें और अंग्रेजी ऑनलाइन सेवाएँ तैयार करके,उनके नये संस्करण शुरू करके सरकारी धन को बर्बाद कर रहे हैं,क्योंकि केवल अंग्रेजी में होने के कारण ये देश के नागरिकों के काम नहीं आ रही हैं।
-आयकर विभाग लगातार आम जनता से भाषाई आधार पर भेदभाव कर रहा है और पैन,टैन के आवदेनों,बदलाव करने की ऑनलाइन सुविधा को राजभाषा हिंदी में शुरू नहीं कर रहा है,जिससे देश के करोड़ों लोग इन सेवाओं को लाभ उठाने से वंचित हैंl आयकर विभाग ने पैन कार्ड का ऑनलाइन आवेदन,टीडीएस विवरणी ऑनलाइन जमा करना,ऑनलाइन टीडीएस प्रमाण-पत्र निकालने की सुविधा केवल अंग्रेजी में उपलब्ध करवाई है,ताकि देश के करोड़ों आम लोगों को परेशान किया जा सके।
-ऑनलाइन आयकर भरने पर चालान केवल अंग्रेजी में उत्पन्न (जनरेट) होता है,जबकि यह द्विभाषी होना चाहिएl अंग्रेजी के चालान आम लोग समझना तो दूर,पढ़ भी नहीं पाते हैंl
-ई-फाइलिंग वेबसाइट (http://incometaxindiaefiling.gov.in/) पर सभी समाचार,विज्ञप्तियाँ केवल अंग्रेजी पीडीएफ में ही उपलब्ध करवाई जाती हैं,जिससे आम जनता आयकर संबंधी नये प्रावधानों को समझ नहीं पाती है और नियमों का उल्लंघन होता जाता है।
-आयकर विभाग के विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा धारा-८० के अधीन जारी किये जाने वाले छूट प्रमाण-पत्र एवं टीडीएस प्रमाण-पत्र केवल अंग्रेजी में जारी किए जाते हैं।
इन शिकायतों को दूर करवाने के प्रभावी कदम उठाएँ,आवेदक एवं अनेक नागरिक इन मुद्दों पर पिछले ८-९ वर्षों से माँग कर रहे हैं पर अब तक कोई हल नहीं निकला है,कोई सुधार नहीं हुआ हैl

शीघ्र उत्तर देंl
भवदीय
श्रीमती विधि जैन
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

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