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बढ़ती बेरोजगारी

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
कोटा(राजस्थान)
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भारत एक जनसंख्या बहुल देश है। बढ़ती जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध कराना आज विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या नीति और देश के अनुरूप औद्योगिक नीति के अभाव ने बेरोजगारी की समस्या को भयावह बना दिया है। सरकारी क्षेत्र की किसी भी भर्ती की घोषणा होने पर भारी संख्या में आवेदनों का प्राप्त होना ‘एक अनार सौ बीमार’ की कहावत को भी पीछे छोड़ रहा है।
बेकारी की समस्या के लिए प्रमुख रूप से बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना,कुटीर उद्योगों का ह्रास,जनसंख्या की वृध्दि,खुला विदेशी आयात,कृषि की दुर्दशा आदि कारण जिम्मेदार हैं। स्वदेशी को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं। कुछ नहीं होने से तो कुछ होना अच्छा है,अतः सार्वजनिक क्षेत्र में कम वेतन वाले अधिक पदों का सृजन किया जाना चाहिए।
आज रोजगार के अवसरों के अभाव में युवा वर्ग हताशा की स्थिति में है। नवजवानों की जिस ताकत पर हम गर्व करते हैं,वह आज नौकरी पाने के लिए दर-दर भटक रही है। पढ़े-लिखे नवजवानों के जीवन में बेरोजगारी की समस्या जहर घोल रही है। बहुत सारे नवजवान निराश होकर गलत दिशा में जा रहे हैं। बेरोजगारी की समस्या हमारे देश की गम्भीर समस्या है,और हर स्तर पर इसके निदान की अति आवश्यकता है।

परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl

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