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युद्ध

देवश्री गोयल  
जगदलपुर-बस्तर(छग)
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‘कोरोना’ से लड़ रहे कर्मवीरों को समर्पित……….
हाँ! युद्ध ही तो लड़ रहा हूँ मैं…
इस बार बन्दूक की गोली से नहीं जनाब,
किसी अंजान शत्रु से भिड़ रहा हूँ मैं…
अपनी नई-नवेली पत्नी से मुख मोड़ रहा हूँ मैं,
दूधमुँहे बच्चे को अकेले छोड़ रहा हूँ मैं…
थरथराते हाथों से माँ ने कल ही विदा किया था,
उसकी हिचकियों,आँसूओं से लड़ रहा हूँ मैं…
हाँ! युद्ध ही तो लड़ रहा हूँ मैं….।
भूख प्यास धूप गर्मी मुझे भी लगती है साहेब…
अपने फर्ज के लिए खुद की नीयत से लड़ रहा हूँ मैं,
कल खबर मिली पिता जी नहीं रहे…
अपनी अस्थियों का ढेर लिए,
श्रद्धांजलि देना भी छोड़ रहा हूँ मैं…
आपकी जान सुरक्षित रखने के लिए,
अपने देश का मान बचाने के लिए…
गली-गली,शहर-शहर,
इधर-उधर दर-बदर लड़ रहा हूँ मैं…।
हाँ,युद्ध ही तो लड़ रहा हूँ मैं॥
परिचय-श्रीमती देवश्री गोयल २३ अक्टूबर १९६७ को कोलकाता (पश्चिम बंगाल)में जन्मी हैं। वर्तमान में जगदलपुर सनसिटी( बस्तर जिला छतीसगढ़)में निवासरत हैं। हिंदी सहित बंगला भाषा भी जानने वाली श्रीमती देवश्री गोयल की शिक्षा-स्नातकोत्तर(हिंदी, अंग्रेजी,समाजशास्त्र व लोक प्रशासन)है। आप कार्य क्षेत्र में प्रधान अध्यापक होकर सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अपने कार्यक्षेत्र में ही समाज उत्थान के लिए प्रेरणा देती हैं। लेखन विधा-गद्य,कविता,लेख,हायकू व आलेख है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना है,क्योंकि यह भाषा व्यक्तित्व और भावना को व्यक्त करने का उत्तम माध्यम है। आपकी रचनाएँ दैनिक समाचार पत्र एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैं,जबकि प्रेरणा पुंज-परिवार और मित्र हैं। देवश्री गोयल की विशेषज्ञता-विचार लिखने में है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा हमारी आत्मा की भाषा है,और देश के लिए मेरी आत्मा हमेशा जागृत रखूंगी।”

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