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टल जाएगा वक्त यह

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
कोटा(राजस्थान)
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‘कोरोना’का वाइरस,फैल सकल संसार।
मचा रहा हर देश में,भीषण हाहाकार॥

मानव का अस्तित्व ही,है संकट में आज।
सिर पर बैठा हँस रहा,कोरोना का ताज॥

आफत आई चीन से,लिया चैन-सुख छीन।
कोरोना के सामने,मनुज लग रहा दीन॥

कोरोना ने छेड़ दी,नए ढंग की जंग।
बिना लड़ाई कर रही,जो धरती बदरंग॥

अर्थव्यवस्था हो रही,सबकी डाँवाडोल।
मानव-जीवन में रहा,कोरोना विष घोल॥

बिना समय के बन रहे,लोग काल के ग्रास।
कोरोना से लग रही,दुनिया बड़ी उदास॥

आज जिन्दगी रह गई,होकर घर में बन्द।
बाहर तो है घूमता,कोरोना स्वच्छन्द॥

रखें बनाएँ दूरियाँ,धो साबुन से हाथ।
जो साधन-सम्पन्न हैं,दें निर्धन का साथ॥

टल जाएगा वक्त यह,कल को किसी प्रकार।
तब तक हम चलते रहें,नियमों के अनुसार॥

एक विषाणु दे रहा,सारे जग को मात।
मनुज-जाति भूले नहीं,अब अपनी औकात॥

परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl

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