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ये घड़ी की नोंक भी…

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’
राजकोट (गुजरात)
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उमड़-उमड़कर बलाएं लेती हैं
‘नए साल की’
उमड़-उमड़कर विदा भी करती है,
‘पिछले साल की।’
ये घड़ी की नोंक भी क्या रस्म निभाती है…

यादों को संजोती है अपने दामन में,
चाहे सुनहरी हो या दु:खभरी
समेट लेती है जख्मों को भी,
फिर मलहम भी लगाती है।
ये घड़ी की नोंक भी क्या रस्म निभाती है…

बंदिशों को तोड़ने ताकत भी रखती है,
हर सफर-ए-मुसाफिर हुकूमत भी रखती है
समय को समय पे न समजा,
तो समय छीनने की जुर्रत भी रखती है।
ये घड़ी की नोंक भी क्या रस्म निभाती है…

मौक़े जिंदगी में हमें बड़े खास से देती है,
फ़िर भी न आज़माया तो सलीके से सरकती है
जीना भी सिखाती है,जितना भी सिखाती है,
कभी-कभी हराकर हमें फिर संभालना भी सिखाती है।
ये घड़ी की नोंक भी क्या रस्म निभाती है…

दौलत भी देती है,शोहरत भी देती है,
हर नए साल में इन्सान का मुकद्दर बदलती है…
पाया जो हमने तो कद्र करने की उम्मीद के साथ,
ठहराकर पैरों को जमीं पे,आसमान छूने का हौंसला भी देती है।
ये घड़ी की नोंक भी क्या रस्म निभाती है…

विवेक जब खोए इन्सान सफलता में,
फिर पँख काटने की कैंची भी रखती है…
आज चलिए हम प्रण लेते हैं,
आने वाले नए साल में अपने कर्मों को प्राण देते हैं।
महकाते हैं हर दिल की गलियां अपनी खुशबू से,
जीवन का गुलिस्तां सजाते हैं॥
ये घड़ी की नोंक भी क्या रस्म निभाती है…

परिचय-अल्पा मेहता का जन्म स्थल राजकोट (गुजरात)है। वर्तमान में राजकोट में ही बसेरा है। इनकी शिक्षा बी.कॉम. है। लेखन में ‘एक एहसास’ उपनाम से पहचान रखने वाली श्रीमती मेहता की लेखन प्रवृत्ति काव्य,वार्ता व आलेख है। आपकी किताब अल्पा ‘एहसास’ प्रकाशित हो चुकी है,तो कई रचना दैनिक अख़बार एवं पत्रिकाओं सहित अंतरजाल पर भी हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ़ टेलेंट रिकॉर्ड सहित मोस्ट संवेदनशील कवियित्री,गोल्ड स्टार बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं इंडि जीनियस वर्ल्ड रिकॉर्ड आदि सम्मान आपकी उपलब्धि हैं। आपको गायन का शौक है।

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