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बस रखो थोड़ी हिम्मत

दृष्टि भानुशाली
नवी मुंबई(महाराष्ट्र) 
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जिंदगी की रेल सहसा थम-सी गई है,
लोगों की हयात जैसे बिखर-सी गई है।
जिस असुर ने हमारी खुशियों को छीन लिया,
ना जाने कम्बख्त क्यों हमसे चिपक गया ?

कोरोना का आगमन हुआ जरूर है चीन से,
पर इलाज इसका मिलेगा किसी भारत के जिन्न से।
भयभीत न होना,बस रखो थोड़ी हिम्मत,
स्वच्छ रखोगे पर्यावरण तो मिल जाएगी जन्नत॥

थोड़ी-सी सावधानी बरतनी पड़ेगी,
और होगी थोड़ी-सी कठिनाई।
इस ‘कोरोनासुर’ की संपूर्ण सेना,
जड़ से खत्म हो जाएगी॥

रगड़-रगड़ कर हाथों को धोना,
कुटिया में रहकर दिनभर सोना।
हाथों को चेहरे से दूर ही रखना,
निकट न आवे दनुज कोरोना॥

प्राचीन परम्परा का पालन कर,
‘नमस्ते’ कहो और मिलाओ न ‘कर।’
मास्क से अपना मुँह तुम ढको,
पर्यावरण सदैव स्वच्छ ही रखो॥

परिवार संग रहकर समय बिताओ,
या बाहर निकल कर मर-मिट जाओ।
कर्फ्यू और ‘तालाबंदी’ का पालन कर,
कोरोनासुर से अपना देश बचाओ॥
(इक दृष्टि यहां भी:हयात=जीवन,कर=हाथ,दनुज=दानव)

परिचय-दृष्टि जगदीश भानुशाली मेधावी छात्रा,अच्छी खिलाड़ी और लेखन की शौकीन भी है। इनकी जन्म तारीख ११ अप्रैल २००४ तथा जन्म स्थान-मुंबई है। वर्तमान पता कोपरखैरने(नवी मुंबई) है। फिलहाल नवी मुम्बई स्थित निजी विद्यालय में अध्ययनरत है। आपकी विशेष उपलब्धियों में शिक्षा में ७ पुरस्कार मिलना है,तो औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटबाल खेल में प्रथम स्थान पाया है। लेखन,कहानी और कविता बोलने की स्पर्धाओं में लगातार द्वितीय स्थान की उपलब्धि भी है,जबकि हिंदी भाषण स्पर्धा में प्रथम रही है।

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