कुल पृष्ठ दर्शन : 142

‘कोरोना’:संकट जाते-जाते मानव जाति को कई सबक

डॉ. स्वयंभू शलभ
रक्सौल (बिहार)

******************************************************

‘कोरोना’ का यह संकट जाते-जाते मानव जाति को कई सबक देकर जाएगा। यह मनुष्य को नए तरीके से जीना सिखा कर जाएगा। यह मनुष्य को उसके कृत्यों का दंड देकर उसकी सीमाओं का अहसास करा कर जाएगा। यह समझा कर जाएगा कि सिर्फ दौड़ना जरूरी नहीं होता,रूकना भी जरूरी होता है…।
यह आत्मानुभूति के ऐसे बीजतत्व देकर जाएगा,जो मनुष्य के अंदर एक नई सोच और एक नई दृष्टि पैदा करेंगे। यह निराशा के घोर अंधकार में सकारात्मकता की रोशनी दिखाकर जाएगा। यह जीवन के लिए संघर्ष करते मनुष्य के अंदर उसकी जिजीविषा को जगा कर जाएगा। यह सिद्ध करके जाएगा कि इसी शक्ति की बदौलत बड़े से बड़े संकट पर विजय पायी जा सकती है।
यह मनुष्य द्वारा बनाए गए सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक अवधारणाओं पर एक नया विमर्श छोड़कर जाएगा। यह धन,सम्पदा ,प्रभुत्व,प्रतिस्पर्धा और भौतिक उपलब्धियों की मूल्यहीनता को समझा कर जाएगा।
यह विज्ञान द्वारा अब तक की खोजों और अनुसंधानों के आगे एक बड़ी चुनौती छोड़ कर जाएगा,साथ ही यह समझाकर जाएगा कि प्रकृति के भीतर जब विकार बढ़ते हैं तो वह स्वयं अपना परिमार्जन भी करती है। यह समझा कर जाएगा कि प्रकृति के इन रहस्यों तक पहुंचने के लिए विज्ञान और तकनीक को अभी बहुत आगे जाना है…।
यह प्रकृति द्वारा बनाए गए नियमों के साथ खिलवाड़ का मतलब समझा कर जाएगा। यह समझा कर जाएगा कि अप्राकृतिक जीवन-शैली के नतीजे क्या होते हैं। यह समझा कर जाएगा कि पेड़ों,जंगलों और नदियों को नष्ट कर पृथ्वी और पर्यावरण को असंतुलित करने का परिणाम क्या होता है ? यह समझा कर जाएगा कि अब तक जो तबाहियां दुनिया ने देखी है,और जिस तबाही से दुनिया अभी गुजर रही है उससे बचने के लिए पूरी दुनिया को ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्’ के मार्ग पर आगे आना होगा…।

Leave a Reply