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‘कोरोना’ हारेगा,भारत जीतेगा

दुर्गेश राव ‘विहंगम’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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तू रख खुद
और ईश्वर पर विश्वास,
शीघ्र ही होगा
‘कोरोना’ का विनाश।
विषाणु मुक्त मेरा भारत बनेगा,
कोरोना हारेगा,भारत जीतेगा॥

ना घबरा भारतीय,
जिस मिट्टी में जन्मे कृष्ण-राम
वहाँ कैसे रहेगा !
कोरोना का नाम।
खुशियों के फूल से भारत खिलेगा,
कोरोना हारेगा,भारत जीतेगा॥

कसम खाई हमने,
घर में रहकर लड़ेंगे जंग
एक दिन ऐसा आएगा,
भारत मे जीत का उड़ेगा रं
भारत में विजय का नगाड़ा बजेगा।
कोरोना हारेगा ,भारत जीतेगा।

भारत की धरा में
ऋषि मुनियों का तप है
हो जहाँ देवताओं का निवास
यह सुनिश्चित है
न रहगें हम कोरोना के दास
वीरों की भूमि से कोरोना भागेगा।
कोरोना हारेगा,भारत जीतेगा।

परिचय-दुर्गेश राव का साहित्यिक उपनाम ‘विहंगम’ है।१९९३ में ५ जुलाई को मनासा (जिला नीमच, मध्यप्रदेश) के भाटखेड़ी बुजुर्ग में जन्मे दुर्गेश राव का वर्तमान निवास इंदौर(मध्यप्रदेश)में,जबकि स्थाई भाटखेड़ी बुजुर्ग तहसील मनासा है। इनकी शिक्षा-बी.एस-सी. और डी.एलएड है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत समाज हित में लेखन करना है। लेखन विधा-काव्य है। विहंगम को हिंदी, अंग्रेजी एवं संस्कृत भाषा का ज्ञान है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन से समाज सुधार है। प्रेरणा-हिंदी साहित्य के दीपक को जलाए रखना है। रुचि-कविता लिखना और काव्य पाठ करना है। 

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