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आखिरी साँस

डॉ.सोना सिंह 
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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प्रवासी मजदूरों को समर्पित………….
घर से चले थे उजड़ कर जब हम…
शहरों में बस्तियां बसा ली दोस्तों।

हमने कुछ बल्लियों,ईंटों,चद्दर से…
झोपड़ियां सजा ली दोस्तों।

हर दीवार के परे से आती रही आवाज…
दिन-रात कोई कानाफूसी नहीं थी दोस्तों।

बैंगन,आलू या दाल….
सबकी खबर लग जाती थी दोस्तों।

आधा गिलास दूध और आधी बीड़ी भी…
उधारी में चल जाती थी दोस्तों।

बस्तियां शहरों की अब हो गई है वीरान…
हर इंसान अब अनजान है दोस्तों।

रोटी-रोजी की चिंता क्या करें…
अब तो जीने की चिंता सताती है दोस्तों।

अनजाने खौफ के साए में…
हर पल कट रहा है दोस्तों।

एक ही आरजू है बाकी अब…
घरवालों के पहलू में लूँ आखरी साँस दोस्तों॥

परिचय-डॉ.सोना सिंह का बसेरा मध्यप्रदेश के इंदौर में हैl संप्रति से आप देवी अहिल्या विश्वविद्यालय,इन्दौर के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में व्याख्याता के रूप में कार्यरत हैंl यहां की विभागाध्यक्ष डॉ.सिंह की रचनाओं का इंदौर से दिल्ली तक की पत्रिकाओं एवं दैनिक पत्रों में समय-समय पर आलेख,कविता तथा शोध पत्रों के रूप में प्रकाशन हो चुका है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भारतेन्दु हरिशचंद्र राष्ट्रीय पुरस्कार से आप सम्मानित (पुस्तक-विकास संचार एवं अवधारणाएँ) हैं। आपने यूनीसेफ के लिए पुस्तक `जिंदगी जिंदाबाद` का सम्पादन भी किया है। व्यवहारिक और प्रायोगिक पत्रकारिता की पक्षधर,शोध निदेशक एवं व्यवहार कुशल डॉ.सिंह के ४० से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन,२०० समीक्षा आलेख तथा ५ पुस्तकों का लेखन-प्रकाशन हुआ है। जीवन की अनुभूतियों सहित प्रेम,सौंदर्य को देखना,उन सभी को पाठकों तक पहुंचाना और अपने स्तर पर साहित्य और भाषा की सेवा करना ही आपकी लेखनी का उद्देश्य है।

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