कुल पृष्ठ दर्शन : 384

विधि का विधान

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

******************************************************************

हमने चिता को जलते देखा है…
चाहे राजा हो या फकीर,
सबको एक दिन जाना है…
कह गए संत कबीर।

जितना हो शक्ति भला…
उतना कर लो दान,
जब अन्त समय आएगा…
ना रहेगा घट में प्राण।

पाव-पाव पग न गिनो…
गिनों हजारों तीर,
एकसाथ जब सब लगें…
कह गए संत कबीर ।

राम-राम सब कहे…
राम बने न कोई,
जब पंछी तन छोड़ चले…
तब पिंजड़ा का क्या होए।

मदिरा पी-पी सब मरे…
अमृत पीये न कोई,
जौ अमृत पीये,
तो दुःख काहे को होए॥

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

Leave a Reply