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नेता

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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(रचना शिल्प:१३ मात्रा(दोहे के विषम चरण की तरह)वाले तीन चरणों से निर्मित,व्यंग और कटाक्ष के लिए लेखन,५ प्रकार के होते हैं)

नेता(पूर्व जनक छंद-प्रथम दो चरण सम तुकांत हो)-

राजनीति चलती सखे।
नित्य नियम रिश्वत रखे।
मरे भले जनता सहज।

उत्तर जनक छंद(अंतिम दो चरण समतुकांत)-

है चुनाव खादी पहन।
नेता लड़े चुनाव जब।
करते धर्म बनाव सब।

शुद्ध जनक छंद(-प्रथम व तृतीय चरण

सम तुकांत हो)-
मंच चुनावी जब चढ़े।
खोले बोरा झूठ का।
वोट नोट ही जब बढ़े।

सरल जनक छंद(तीनों चरण अतुकान्त हो)-

सपने में नेता बने।
खादी की पतलून में।
हुई छेद बीड़ी जले।

घन जनक छंद(तीनों चरण सम तुकांत हो)-

वादा करे विकास का।
खेले खेल विनाश का।
नेता फूल पलाश का।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।

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