नमिता घोष
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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यहीं कहीं इसी विद्यालय के आँगन में,
बच्चों के भविष्य के स्वप्नों में
जीवन के प्रांगण में छिपी हुई है मेरी मुक्ति,
युक्ति कर ढूँढूंगीl
यहीं कहीं बच्चों के निरन्तर प्रयास में,
यहीं कहीं तरूण-तरूणियों के सतत प्रयास में
शिक्षक-शिक्षिकाओं के ममत्व में,
मेरी मुक्ति लगन से उसे ढूँढूंगीl
बुद्धिमान जीवों में,
ऋतु चक्र की विविधताओं मेंl
छिपी हुई है मेरी मुक्ति,
युक्ति कर ढूँढूंगीll