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‘लव आज कल’:ये लव न आज चलेगा,न कल

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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लेखक निर्देशक इम्तियाज अली की इस फिल्म में अदाकार-कार्तिक आर्यन,सारा अली खान,रणदीप,आरुषि शर्मा ने अभिनय किया है। संगीत प्रीतम का है।
#फ़िल्म से पहले की चर्चा⤵
पिछली फिल्म ‘लव आजकल’ २००९ में सैफ,दीपिका,ऋषि कपूर के साथ इम्तियाज ने ही बनाई थी,सफल भी रही थी। फ़िल्म मूलतः किशोरवय को लेकर बुनी गई है,प्रेम कहानी है,लेकिन इस बार आज और कल के फर्क में इम्तियाज बेपटरी हो गए हैं। इस फ़िल्म का अंदाजे बया यानी प्रस्तुतिकरण पिछले अंदाज़ में ही भुनाने की कोशिश की गई,लेकिन अब यह तरीका बासी और काम निकालता नहीं लगा।
#कहानी पर चर्चा⤵
फ़िल्म में २ प्रेम कहानियां १९९० के समय की और दूसरी आज की चलती है। दोनों में फर्क स्थापित किया गया है,क्योंकि आज दुनिया ५जी के साथ चल रही है,तो यकीनन सभी काम और व्यवहार भी अति आधुनिक होंगे ही,लेकिन प्रेम अति आधुनिक होता है,तो वह वासना की तरफ मुड़ जाता है या वह भद्दा हो जाता है। अत्यधिक उम्मीद उतनी ही तकलीफ की वजह भी बनती है। प्रेम की शुद्धता,सौम्यता,माधुर्य,सहजता, सौंदर्य बना रहता है तो निश्चित ही फलता-फूलता भी है।
इस फ़िल्म में सूत्रधार बने हैं कैफे मालिक रणदीप हुड्डा,जो अपनी प्रेम कहानी जोई (सारा अली) को सुनाते हैं। यह १९९० के कालखण्ड की है,जिसमें रघु(कार्तिक) प्रेमी और उनकी प्रेमिका आरुषि शर्मा है। उस समय की प्रेम कहानी बड़ी शांत,सौम्यता, निर्मलता से चलते हुए आगे बढ़ती है। चूंकि, इस कहानी में सूत्रधार(यानी कहानी सुनाने वाले जवान किरदार में) भी कार्तिक ही हैं तो कहानी जुड़ने लगती है,लेकिन अब वर्तमान में भी एक प्रेम कहानी जन्म ले रही है,जिसमे प्रेम के साथ और भी बातें जुड़ने लगती है, जिससे आज की प्रेम कहानी का अति आधुनिक होना खलने लगता है। प्रेमिका का अति आधुनिक होना कई बार बेशर्मी में शुमार होने लगता है,या लड़की के मुँह से गालियां निकलना जैसे कई मुद्दे हो सकते हैं।
पहले भाग में दोनों प्रेम कहानियां साथ चलती हैं,तो समय का पता नहीं चलता। यह भाग भी कसा हुआ है,लेकिन दूसरे में प्रेम में अति संवेदनशील या भावनाओं को भरने के चक्कर में पकड़ छूट गई है। नए और पुराने प्यार के चक्कर में इम्तियाज खुद चक्कर खा बैठे हैं।


#संगीत⤵
प्रीतम ने गाने सुंदर सजाए हैं,फ़िल्म में गाने अच्छे भी लगे हैं। मेहरमा,शायद, मैं गलत…तीनों ही कर्णप्रिय हैं। पिछले रीमिक्स ‘आउ आउ’ को अंत में दिया तो उसका कोई मतलब नहीं बचता है।
#अदाकारी⤵
सारा अली पर फ़िल्म में ज्यादा बोझ डाला गया है। सारा को अभी अभिनय में बहुत कुछ सीखना बाकी है। सैफ अली तो खुद एक दशक बाद स्वयं को स्थापित कर पाए थे। कार्तिक भी कमजोर अदाकार है,वह पूरी क्षमता के बाद भी कई दृश्यों में भावनात्मक पहलू नहीं पकड़ पाए। दोनों कलाकार अतिरेक अभिनय से भरपूर लगे। रणदीप रंगमंच की भट्टी से निकले हैं,इसलिए वह हर किरदार को सज़ा देते हैं।
#निर्देशन-लेखन⤵
इम्तियाज ने खुद को दोहराया है। ‘तमाशा’,
‘हाई-वे’,’रॉक स्टार’ फ़िल्म की याद रह-रहकर फ़िल्म को देखते हुए आने लगती है,जो इम्तियाज के लिए खतरे की घण्टी है,या उन्हें खुद को अपडेट करने की निशानी है।
#बजट-प्रदर्शन⤵
लगभग ३० करोड का बजट बताया गया है। फ़िल्म अकेले प्रदर्शित हो रही है,लेकिन ‘तान्या जी’,’मलंग’ के कारण २७०० पर्दे ही मिल पाए हैं। फ़िल्म को ‘वेलेंटाइन-डे’ के कारण ५-७ करोड़ की शुरुआत मिल सकती है। शेष फ़िल्म से ज्यादा उम्मीद बेकार ही होगी। इस फिल्म को ढाई सितारा ही देना ठीक रहेगा।

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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