कुल पृष्ठ दर्शन : 295

You are currently viewing मधुशाला सज महफ़िलें

मधुशाला सज महफ़िलें

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

***********************************************************************

गज़ब नीति सरकार की,कर मदिरा व्यापार।
विकट आपदा है वतन,जनता है लाचार॥

मधुशाला फिर से सजी,नशाबाज गुलज़ार।
गज़ब रोग उपचार यह,भाग रहे बेकार॥

बाँट रहा जग दुआ वह,जिसे स्वयं दरकार।
भूली जनता जाम ले,आमद में सरकार॥

अंगराज शरमा रहा,मधु दान को देख।
‘कोरोना’ शकुनी करे,नाश मनुज अभिलेख॥

खाने के लाले पड़े,मचा पलायन देश।
मधुशाला सज महफ़िलें,क्या देती संदेश॥

हो वंचित सब लाभ से,कामगार सरकार।
सजी शराबी आसियां,फँसा देश मँझधार॥

मार मची है लूट की,मधुशाला अतिमूल्य।
मानो सब खुशियाँ मिली,प्रभु मिलन समतुल्य॥

फँसी मौत की फाँस में,सिसक रहा संसार।
भोजराज सम दान दे,मद्य मुदित सरकार॥

तालाबंदी धज्जियाँ,दो गज दूरी नीति।
कोरोना मंजूर है,पर शराब से प्रीति॥

सरहद पर कुर्बानियाँ,नित दे वीर जवान।
धूम मची जामे वतन,कैसी भक्ति ईमान॥

लाल हरा पीला बँटा,गमनागम है रोक।
स्कूल-कॉलेज बंद सब,ठेका हर सब शोक॥

कोरोना अवसाद में,सबने दी धन योग।
गज़ब रीति धन लालसा,मधुशाला रस भोग॥

कोरोना जख्मों सितम,भूलो दारू पान।
गौरव गाथा देश का,मधुशाला सम्मान॥

सफल बने ठेकागिरी,हालाहल मधुशाल।
लखि ‘निकुंज’ की लेखिनी,सरकारी गति हालll

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

Leave a Reply