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महाराणा प्रताप इक अनमोल सितारा

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष……….

वीर राजपूताने का वह
इक अनमोल सितारा था।
सिसोदिया कुल में जन्म लिया
सबको प्राणों से प्यारा था॥

इस वीरप्रसविनी भूमि का
वीर प्रताप मतवाला।
घोड़ा था अद्भुत राणा का
वायु से तीव्र गति वाला॥

मेवाड़ी आन के लिए ही
समरांगण धूम मचाई।
दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए
पीठ न कभी भी दिखाई॥

याद करो हल्दीघाटी को
राणा ने शौर्य दिखाया।
चेतक घोड़े पर हो सवार
दुश्मन का शीश झुकाया॥

रण में शमशीर चलाई तो
अवनीअरि मुंड पड़े थे।
संग्राम क्षेत्र में वीरों के
धड़ों से धड़ ही लड़े थे॥

सनी रक्त से हल्दी घाटी
वीरों ने प्राण गवांए।
मान किया दुश्मन का मर्दन
सबके होश उड़ाए॥

राणा सांगा का ये वंशज
ना हार मानने वाला।
कर स्वतंत्रता का उद्घोष
मातृभूमि का रखवाला॥

नहीं गुलामी करी किसी की
राज छोड़ वन स्वीकारा।
त्यागा महलों का ठाठ-बाट
अरि को इसने ललकारा॥

कभी रुका ना कभी झुका ना
वीर वो स्वाभिमानी था।
एकलिंग का भक्त परम वह
उसका ना कोई सानी था॥

कष्ट झेलकर भी प्रताप ने
ना अधीनता स्वीकारी।
था छूट गया सब-कुछ पीछे
फिर भी था सब पर भारी॥

भरे हैं इतिहास के पन्ने
उसकी वीर कथाओं से।
भारत माता का हर बच्चा
प्रेरित शौर्य कथाओं से॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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