बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा विशेष………
(रचनाशिल्प:१६/१४-पदांत २२२)
आई गर्मी की छुट्टी है,
चलो मनाएं मस्ती में।
दूर कहीं जा कर सागर में,
घूमें-नाचें कश्ती में॥
सैर-सपाटा करें साथ में,
मिलकर के सारे बच्चे।
नहीं किसी से बैर हमारा,
हम तो हैं मन के सच्चे॥
आम बौर खिल उठते सारे,
अमराई भर आती है।
शोर मचाते मोर-पपीहा,
कोयल गीत सुनाती है॥
नहीं दुःख की चिंता सर पे,
होकर घूमे मतवाला।
आई गर्मी की छुट्टी है,
मौज मनाते हैं बाला॥
नदी-ताल में गोता खाते,
दिनभर गलियों में घूमें।
करें गाँव की सैर-बहारें,
देख-देख कर मन झूमें॥