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घाव बोली का…

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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जीवन है बड़ा अनमोल,
वचन में हरदम मिसरी घोल
बोलिए कभी ना कड़वे बोल,
घाव बोली का भरता ना।
भर जाता घाव गोली का,
घाव बोली का भरता ना।
बोलिए कभी ना कड़वे बोल,
घाव बोली का भरता नाll

किसी के देखे ना हालात,
बोलता मुँह से कड़वी बात
ना होता ठीक ईर्ष्या स्वभाव,
घाव बोली का भरता नाl
बोलिए कभी ना कड़वे बोल,
घाव बोली का भरता ना…ll

बताया समय-समय का खेल,
पता ना हो जाए किससे मेल
चलता हरदम उतार-चढ़ाव,
घाव बोली का भरता नाl
भर जाता घाव गोली का,
घाव बोली का भरता ना…ll

घाव बोली का पड़े जिस गात,
पड़े ना चैन कभी दिन-रात
रहता मन में सदा तनाव,
घाव बोली का भरता नाl
भर जाता घाव गोली का,
घाव बोली का भरता ना…ll

सद्गुरु देत ज्ञान अनमोल,
कवि उमेश लिखते सच्चे बोल
रखिए ठीक सदा बर्ताव,
घाव बोली का भरता नाl
भर जाता घाव गोली का,
घाव बोली का भरता ना…l
बोलिए कभी ना कड़वे बोल,
घाव बोली का भरता ना…ll

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं।अलकनंदा साहित्य सम्मान,गुलमोहर साहित्य सम्मान आदि प्राप्त करने वाले श्री यादव की पुस्तक ‘नकली मुस्कान'(कविता एवं कहानी संग्रह) प्रकाशित हो चुकी है। इनकी प्रसिद्ध कृतियों में -नकली मुस्कान,बरगद बाबा,नया बरगद बूढ़े साधु बाबा,हम तो शिक्षक हैं जी और गर्मी आई है आदि प्रमुख (पद्य एवं गद्य)हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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