निर्मल कुमार जैन ‘नीर’
उदयपुर (राजस्थान)
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‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष……….
मेवाड़ी शान-
राणा प्रताप पर,
है अभिमान।
राणा प्रताप-
कोई सह न पाया,
शौर्य का ताप।
डिगा न सका-
अकबर राणा को,
झुका न सका।
राणा अमर-
दुश्मन भी काँपता,
था थर-थर।
अभिमानी थे-
महाराणा प्रताप,
स्वाभिमानी थे।
समर खड़ा-
स्वामी भक्त चेतक,
युद्ध था लड़ा।
झुकता माथा-
माटी के कण-कण,
में शौर्य गाथा।
परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ मई १९६९ और जन्म स्थान-ऋषभदेव है। वर्तमान पता उदयपुर स्थित हिरणमगरी (राजस्थान)एवं स्थाई गोरजी फला ऋषभदेव जिला-उदयपुर(राज.)है। आपने हिंदी और संस्कृत में स्नातकोत्तर किया है। कार्य क्षेत्र-शिक्षक का है। सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में निरंतर सहभागिता करते हैं। श्री जैन की लेखन विधा-हाइकु,मुक्तक तथा गद्य काव्य है। लेखन में प्रेरणा पुंज-माता-पिता और धर्मपत्नी है। रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को समृद्ध व प्रचार-प्रसार करना है।