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लम्हें…

विद्या होवाल
नवी मुंबई(महाराष्ट्र )
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गुजरा हुआ हर पल लम्हा बन जाता है,
हर लम्हा यादों का बसेरा बन जाता है।

कभी-कभार हँसाता है,तो कभी रूला भी देता है,
कुछ को भुला देते हैं,तो कुछ नए एहसास भी जगा देता है।

लम्हों की धूप-छाँव जीवन भर गुनगुनाती है,
कभी मोहब्बत तो कभी नफ़रत भी सिखा देती है।

गुजरा हर एक पल जानेवाला है,
फिर न कभी आनेवाला है
हमें इतना याद रखना होगा,
हरेक लम्हा जी भरकर जीना है।

कुछ लम्हों को लिखकर पास रखना है,तो
कुछ को तस्वीरों में कैद करना है।
कुछ को आँखों में संजोए रखना है,
कुछ कड़वे लम्हों को रेत की तरह छोड़ भी देना है॥

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